भाजपा की सत्ता में भाजपाइयों पर हावी नौकरशाह लगा रहे हैं सरकार की साख पर बट्टा।
समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़ी मेहनत की। मोदी जी एवं योगी जी का जय श्री राम के साथ जप किया। तब जाकर प्रदेश में सत्ता की चाभी हाथ लगी। लेकिन वर्तमान हालात तो बड़े दुखद हैं? बेलगाम नौकरशाह भाजपाइयों से बड़े भाजपाई हैं?
भाजपाई कुछ बोलते है तो साहब तुरंत योगी चालीसा शुरू कर देते है । बेचारा भाजपाई बस मन मसोसकर वापस हो जाता है। जाहिर है घाघ साहब जी को भी एक चाभी मिल गई मनमानी की! संभवतः वह यही है… साहब जब योगी नाम सुनावै। भाजपाई भी तब निकट ना आवै?
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार चल रही है। सरकार में शामिल लोग कामों में जुटे हुए हैं। चापलूस नौकरशाह प्रदेश में रामराज्य स्थापित है इसकी बांग दे रहे हैं लेकिन हालात बिल्कुल इससे उलट हैं! इधर बीच बलात्कार एवं हत्या जैसे कई मामले प्रदेश में तेजी से बढ़े हैं! तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में भी घोर निराशा ने गहरा अंधेरा कर रखा है? भगवान जाने भाजपा नेता इससे बेखबर है या फिर उन्हें इसकी खबर है?
प्रदेश के भाजपाइयों की मन:स्थिति में अपनी ही सरकार में जो विवशता है, जो छटपटाहट है उसकी सुध लेने वाला फिलहाल कोई नहीं है? एक विधायक से थाना प्रभारी भिड़ जाता है। यह तो बानगी भर है।चर्चा है कि अन्य जिलों में कई विधायक ऐसे हैं जो जिलाधिकारी अथवा कप्तान के सामने बस अपनी बात कहते हैं। उनका कहा हो जाएगा इसकी गारंटी नहीं है?
भाजपा के बड़े-बड़े पदाधिकारी कार्यकर्ताओं तक के काम नहीं कर पा रहे हैं? भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता जिन मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में वोट डलवा चुका है वह उनका काम नहीं कर पा रहा है। कार्यकर्ता के पक्ष में कल भी बैठक और जागरूकता अभियान की जिम्मेदारी थी और आज भी वही है। मजाल है कि कार्यकर्ता की एक आवाज में कोई एक बड़ा काम हो जाए? स्वम् भाजपाई कहते है कि प्रदेश में सरकार योगी जी की है। और इसके साथ ही भ्रष्ट व घाघ नौकरशाहों की है? आज सत्ता से कार्यकर्ताओं का दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं रह गया है।
चापलूस, भ्रष्ट नौकरशाहों ने जनपद में भी जनप्रतिनिधियों को रहस्यमय बीन बजा कर अपने सिस्टम में ढाल लिया है? जो जनप्रतिनिधि इन नौकरशाहों की चपेट में नहीं आए उनसे 36 का आंकड़ा जारी है।
कई विधायक ऐसे हैं कि उन्हें कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि अब जनता ने भी कहना शुरू कर दिया है कि भैया भाजपा की ही सरकार में इनका तो मिट्टी मोल भी नहीं बचा है। भाजपा के कार्यकर्ता जब किसी सरकारी कार्यालय में काम के लिए जाते हैं।
तो उन्हें वहां बैठे साहब योगी जी का यह निर्देश है, योगी जी ने यह कहा है, योगी जी ने यह नियम बनाए हैं। ऐसे तमाम उवाच करके अथवा योगी चालीसा सुना के भाजपाई को भयग्रस्त कर देते हैं। बेचारा भाजपाई मन मसोसकर भारी कदमों से कार्यालय से वापस हो जाता है।
कई जनपदों से यह भी ख़बरें हैं कि चापलूस, अवसरवादी तथा दलालों ने सरकार के घाघ नौकरशाहों एवं अपने कई जनप्रतिनिधियों की चरण चट्टई करके अपने स्वार्थों की झोली को भरना जारी कर रखा है? भाजपाई जानते हैं कि यह सत्ता मिली है तो भाजपा में आया हैं। लेकिन कुछ बोल नहीं सकते। क्योंकि उन्हें भाजपा के बड़े नेता जी पक्का भाजपाई मान रहे हैं? ऐसे में समर्पित भाजपाई की क्या बिसात!
भाजपा के कई दुखी कार्यकर्ताओं ने बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री योगी जी को समझना चाहिए कि जब कार्यकर्ता काम करेगा तब भाजपा सत्ता में आएगी। जब कार्यकर्ता जिंदाबाद लगाएगा। दिन रात एक करेगा तब भाजपा के विधायक जीतेंगे। जब विधायक जीतेंगे तभी योगी जी अथवा कोई और भाजपाई मुख्यमंत्री बनेगा ।ऐसे में यदि भाजपा के कार्यकर्ताओं की स्वाभिमान पर केवल भाषण ही दिए जाएंगे ।उनके छोटे-छोटे काम तक नहीं होंगे। तब तो आगे बड़ी मुश्किल आनी तय है?
भाजपा में यह बीमारी खत्म नहीं हुई है कि जब भाजपा सत्ता में नहीं होती तब कार्यकर्ताओं की बड़ी पूछ रहती है। जैसे ही भाजपा सत्ता में आती है। कार्यकर्ता काम लेकर जाते हैं। तब उन्हें नियम कानून के अध्याय बताने प्रारंभ कर दिए जाते हैं।
स्पष्ट है कि अपनी अनदेखी एवं अपनी व्यथा को उजागर करने के लिए भाजपा के विधायक विधानसभा में अपनी ही सरकार के रहते धरना भी दे चुके हैं।प्रदेश में प्राया: रह – रह कर भाजपा के जनप्रतिनिधियों के आक्रोश अथवा उनकी मजबूरियों के दर्शन भी होते रहते हैं। कभी-कभी तो कई जनपदों में अधिकारी भाजपाई पर भारी नजर आता है? कुछेक घाघ नौकरशाह व अवसरवादी इस समय बड़े वाले भाजपाई हैं।
भाजपाई कहते है कि प्रदेश व देश में कोरोना फैला है। सरकार ने इसकी पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों की जिम्मे में कर रखी है। भाजपा के जनप्रतिनिधि जो क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं उसका निरीक्षण भी शायद नहीं कर सकते ?अथवा उन्हें वहां जाने या ना जाने के निर्देश है ?कई बार ऐसे सेंटरों से भी अव्यवस्था अथवा दुर्दशा की शिकायतें आम हो रही है। जो कहीं न कहीं योगी सरकार के तमाम प्रयासों को निष्फल अथवा बर्बाद कर रही हैं।
हालात यह हैं कि कई नौकरशाहों अपनी मनमानी से सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। भाजपाई बोलते हैं कि सपा एवं बसपा व कांग्रेस की सरकारों में जनप्रतिनिधि तथा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं का महत्व था। अधिकारी डरता था।
लेकिन आज हम अथवा हमारे जनप्रतिनिधियों का कोई डर नहीं बचा है ।भृष्ट अधिकारी जनता को खुलेआम लूट रहा है और योगी जी के नाम का चालीसा इतनी जुगत से भाजपाई के सामने प्रस्तुत करता हैं कि बेचारा भाजपाई बस चुप्पी साध लेता है।
कुल मिलाकर प्रदेश की भाजपा में कार्यकर्ताओं के स्वाभिमान को लेकर केवल भाषण हो रहे हैं? उन पर जिम्मेदारी से ध्यान नहीं दिया जा रहा है ? माना कि आज भाजपा के पास ब्रह्मास्त्र नरेंद्र मोदी जी हैं। आज भाजपा के पास आदित्यनाथ योगी जी है। बड़ा संगठन है ।समर्थन है । लेकिन अगर इन सभी की धुरी कार्यकर्ता असमंजस में घर बैठा तो भाजपा के लिए वह स्थिति अच्छी नहीं होगी।
समर्पित कार्यकर्ताओं की जुबान पार्टी हितों एवं अनुशासन के चलते ही बंद है। लेकिन फिर भी उनके दिलों में दर्द का सागर है। जिसे समय रहते समझने की जरूरत है। यह कटु सत्य है भाजपा नेतृत्व को इस पर ध्यान देना ही होगा।
फिलहाल तो जनपदों में घाघ अधिकारियों के द्वारा एक काम जारी है। वह है….. साहब जब योगी नाम सुनावै। भाजपाई भी तब निकट ना आवै?????
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