अगर आप ने कान छिदवाया है तो ये ज़रूर जान ले
हमारे हिन्दू धर्म में अक्सर आप ने महिलाओं एवं पुरुषो को कान छिदवाते हुए ज़रूर देखा होगा, शायद आप ने भी अपना कान छेदन करवाया हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि कान क्यों छिदवाया जाता है?
आज कल का दौर ऐसा है कि लोग फैशन और देखा देखी में अपना कान छिदवा लेता है लेकिन बहुत कम लोगों को ही हमारे शास्त्रों के हिसाब से कान छेदन करवाने का सही अर्थ पता होता हैं ।
हिन्दू धर्म में कान छिदवाने को कर्ण वेद संस्कार बोला जाता हैं , जो की हिन्दू धर्म में मौजूद 16 संस्कारो में से एक है, और हमेशा उपनयन संस्कार के बाद किया जाता है, कान छिदवाने के बाद उसमे सोने या चाँदी का तार डाला जाता है, और साथ की कान कहीं पाक न जाए इस लिए उसमे हल्दी में नारियल का तेल मिला कर कान के छेद में तब तक लगाया जाता है जब तक कान का छेद पूरी तरह से अपनी जगह न बना ले।
आज हम आप को लाल किताब के अनुसार कान छिदवाने के ऐसे 2 फायदे बताएंगे, जिसका ज्ञान शायद ही आप को कभी मिल पाया हो.
- जीवन में आने वाले संकटो का कारण हिन्दू मान्यताओ के हिसाब से राहु और केतु बताया जाता है, और ऐसा माना जाता है की कान छेदन करवाने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव का असर ख़त्म हो जाता है।
- कान का छेदन करवाने से मंदा केतु ठीक हो जाता हैं जिससे संतान पक्ष में वक्ती को कोई कठिनाइयों का सामने नहीं करना पड़ता है।
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