कोरोना काल :- तब 6 फीट की दूरी का फॉर्म्युला भी फेल…
Corona period :- अगर कोविड-19 मरीज पार्क में टहलकर चला गया हो तो क्या वहां जाने से हो सकती है महामारी? अगर नहीं तो वैज्ञानिक क्यों कह रहे हैं कि कोविड-19 वायुजनित (एयरबोर्न) महामारी है? आइए समझते हैं…
तब 6 फीट की दूरी का फॉर्म्युला भी फेल:-
- जब बहुत छोटे ड्रॉपलेट्स मरीज के मुंह या नाक से निकलते हैं.
- तो वो जमीन पर गिरने से पहले वाष्प बनकर हवा में पूरी तरह घुल सकते हैं।
- तब मरीज से निकले वायरस धूल की तरह हवा में मिल जाते हैं।
- यही तैरते हुए वायरस उन लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं जो मरीज से 6 फीट से भी ज्यादा दूरी पर हों।
कौन से रोगाणु कितने संक्रमणकारी?
- वैज्ञानिकों को महीनों यह सवाल सताता रहा कि क्या कोरोना वायरस जमीन पर गिर जाते हैं.
- या धूल की तरह हवा में तैरते रहते हैं।
- जो रोगाणु (Germs) धूल की तरह हवा में घुल जाते हैं वो बेहद संक्रमणकारी होते हैं।
- मसलन, मीजल्स, चिनकपॉक्स और ट्युबरकुलोसिस (टीबी) के रोगाणु।
- यही कारण है कि मीजल्स का हर मरीज 12 से 18 लोगों को संक्रमित कर देता है।
- जो बीमारियां भारी-भरकम ड्रॉपलेट्स से फैलती हैं.
- उनके रोगाणु कम संक्रमणकारी होते हैं।
- मसलन, फ्लू, कॉमन कोल्ड और हूपिंग कफ।
- कोरोना वायरस आम तौर पर भारी ड्रॉपलेट्स वाले रोगाणुओं जैसा ही व्यवहार करता है।
- इसलिए, इसे एयरबॉर्न कहना कुछ हद तक उचित नहीं है।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :