हेड कांस्टेबल रतन लाल के अंतिम संस्कार से परिवार का इनकार, धरना देकर मांगा शहीद का दर्जा

दिल्ली हिंसा में मारे गए हेड कांस्टेबल (दिल्ली पुलिस) रतन लाल का शव बुधवार को राजस्थान के सीकर पहुंचा. परिजनों के साथ गांव वालों ने यहां धरना दिया. उन्होंने रतन लाल को शहीद का दर्जा देने की मांग की. रतन लाल के परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है.

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि परिजनों को समझाया जा रहा है. हमारी सरकार से भी इस बारे में बात हुई है. जो मांग है नियमानुसार पूरी की जाएगी. वहीं राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने शहीद का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह से बात की है.

पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए रतन लाल

विंग कमांडर जैसी मूंछों के चलते पिछले साल हेड कांस्‍टेबल रतन लाल अपने साथियों में खासे मशहूर हुए थे. दिल्‍ली पुलिस का ये बहादुर जवान सोमवार को दंगाइयों की भीड़ का शिकार हो गया. 1998 में बतौर कांस्‍टेबल दिल्‍ली पुलिस ज्‍वॉइन करने वाले रतन लाल अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं.

मौत की खबर सुनने के बाद से उनकी पत्नी पूनम की हालत खराब हो गई है वहीं बच्चों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि राजस्थान के सीकर जिले में रतन लाल के गांव में भी उनकी मौत की खबर से मातम पसरा हुआ है.

गांव में रह रही बूढ़ी मां को तो पता भी नहीं कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा. रतन लाल के भाई ने बताया कि जैसे ही हमें उनकी मौत की खबर मिली, तो हमने तुरंत टीवी बंद कर दिया ताकि मां को पता न चल पाए.

अमित शाह ने लिखा पत्र, कहा- अपके पति बहुत बहादुर थे

हेड कांस्टेबल की पत्नी को गृह मंत्री अमित शाह ने पत्र लिखा है. मंगलवार को भेजे गए इस पत्र में अमित शाह ने रतन लाल की मौत पर दुख जताते हुए लिखा, ‘आपके बहादुर पति निष्ठावान पुलिसकर्मी थे, जिन्होंने कड़ी चुनौतियों का सामना किया.”

गृह मंत्री ने अपने पत्र में लिखा, “दुख की इस घड़ी में देश बहादुर पुलिसकर्मी के परिवार के साथ खड़ा है. उन्होंने एक सच्चे सैनिक की तरह देश के लिए बलिदान दिया है.” उन्होंने लिखा कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपको इस दुख को सहने की शक्ति दे. पूरा देश आपके साथ है.

मां और बच्चों से गांव में होली मनाने का था वादा

रतन लाल तो यह दुनिया छोड़ गए लेकिन इसके साथ ही एक वादा भी अधूरा छोड़ गए. दरअसल रतन लाल ने गांव में रह रही अपनी मां और दिल्ली में अपने बच्चों से वादा किया था कि इस बार होली गांव में ही मनाएंगे लेकिन उस मां और इन मासूमों को क्या पता था कि होली से पहले ही उनकी जिंदगी का रंग उड़ जाएगा.

रतन लाल के भाई दिनेश लाल ने बताया, “वे एक सच्चे देशभक्त थे और शुरुआत से ही पुलिस या सेना में भर्ती होना चाहते थे. पुलिस में होने के बाद भी उनका स्वभाव बहुत शांत था.” उन्होंने बताया कि आखिरी बार वे एक महीने पहले गांव आए थे, जब एक रिश्तेदार का निधन हो गया था.

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