भदोही ही नहीं, पूरे पूर्वांचल में फैला है विधायक विजय मिश्र का साम्राज्य, इन कामों में जबरदस्त दखल
MLA Vijay Mishra empire spread Purvanchal Bhadohi लखनऊ. कानपुर कांड से सबक फिर गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत के बाद यूपी सरकार ने प्रदेश में माफिया राज को जड़ से खत्म करने के लिए माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
MLA Vijay Mishra empire spread Purvanchal Bhadohi:-
पूर्वांचल में अपराध जगत से सियासी सफर करने वाले चर्चित चेहरों में एक नाम विधायक विजय मिश्र का भी है।
पूर्व सांसद गोरखनाथ पांडेय से लगायत न जाने कितने ब्राह्मण नेता विजय मिश्र के आतंक से पस्त होते गए।
विधायक मिश्र कानून के लंबे हाथ के नीचे नहीं आ सके। पहली बार पुलिस की तत्परता से गुंडा एक्ट में फौरी कार्रवाई हो पाई।
भदोही ही नहीं वरन प्रयाग से काशी तक खनन एवं सरकारी ठेके-पट्टे में जबर्दस्त दखल रखने वाले विजय मिश्र का ऐसा आर्थिक साम्राज्य फैला
राजनीति में क्या मजाल जो टकराए
पहले ब्लाक प्रमुख, फिर विधायक। पत्नी, बेटी भी राजनीति में। भदोही की राजनीति में क्या मजाल जो विजय मिश्र से कोई टकराए।
लंबे समय तक सपा की सरपरस्ती में रहने वाले विजय मिश्र अभी निर्दलीय विधायक हैं।
सत्ता का संरक्षण पाने को लालायित हो उन्होंने पिछले वर्ष एक कार्यक्रम में यूपी के
सीएम योगी आदित्यनाथ के करीब जाने की कोशिश की।
हाथ में महंगे उपहार के साथ वह मंच पर चढ़े ही थे कि सीएम ने हाथ से उपहार झटक दिया।
उन्होंने आंखें तरेरी और मिश्र बेआबरु हो नीचे उतर आए। भदोही के ज्ञानपुर से वर्ष
2017 में निषाद पार्टी से विधायक चुने जाने के बाद राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष
में वोट देने पर निषाद पार्टी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
जज ने भी दर्ज कराया था मुकदमा
भूमि विवाद में बिहार के एक जज ने भी विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ भदोही के
सुरियावां थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
क्या है गुंडा एक्ट
मानव तस्करी, गोहत्या, पशु तस्करी, मनी लॉड्रिंग, बंधुआ मजूदरी, बाल मजदूरी, जाली
नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियार व व्यापार तथा अवैध खनन जैसे अपराध
पर गुंडा एक्ट लगाया जाता है।
ऐसे अपराधियों की आसानी से जमानत नहीं होती। इस अधिनियम में डीएम को कार्रवाई
का अधिकार होता है।
इसमें अपराधियों की संपत्तियां भी जब्त होगी। पुलिस 14 दिन के बजाय अधिकतम 60
दिन के लिए बंद कर सकती है।
जिला बदर की भी कार्रवाई होती है। अधिकतम तीन वर्ष की सजा का भी प्रावधान है।
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