लखनऊ : एक साल से वेतन नहीं, अब नौकरी भी गयी….आखिर क्यों ?
एक साल से वेतन नहीं, अब नौकरी भी गयी
मुख्यमंत्री आवास पर 181 वुमेन हेल्पलाइन की महिलाकर्मियों का धरना
181 women’s helpline लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना धड़ाम हो चुकी है। 181 महिला हेल्पलाइन आज पूरी तरह बंद हो गई है। इसका कारण मार्च 2019 से सरकार ने कंपनी को भुगतान नहीं किया।
- इस कारण महिला कर्मचारियों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला है।
- एक साल से वेतन भुगतान न मिलने से नराज महिला हेल्पलाइन 181 की कर्मचारियों ने सोमवार सुबह सीएम आवास के करीब जा पहुंची।
- पिछले एक साल से वेतन न मिलने व सेवाएं बंद किए जाने से नाराज 181 महिला हेल्पलाइन की महिला काउंसलरों ने मुख्यमंत्री आवास के समक्ष धरना देने की चेतावनी दी है।
- लेकिन सोमवार सुबह जैसे ही सीएम आवास का घेराव करने जा रही महिला कर्मियों की पुलिस को भनक लगी इन्हें रोक लिया।
181 women’s helpline:-
- महिला पुलिस की मदद से इन्हें हजरतगंज स्थित महिला थाना ले जाया गया।
- वहां से पुलिस ने इन्हें आलमबाग स्थित इको गॉर्डन में भेज दिया है।
- इन कर्मियों का आरोप है इन्हें एक साल से मानदेय नही मिला है।
- महिला उत्पीडऩ के खिलाफ सूबे 75 जिलों में 181 वुमेन हेल्पलाइन काम कर रही है।
- अचानक नौकरी से निकाले जाने से कर्मचारी परेशान हो गई है।
- 181 वुमेन हेल्पलाइन महिला कर्मियों ने मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्री व अधिकारियों से नौकरी पर वापस बुलाने की गुहार लगायी है।
महिला उत्पीड़न के लिए काम करने वाली महिलायें खुद उत्पीड़ित:-
- महिला कर्मियों का कहना है कि ‘न मिला वेतन, न रही नौकरी रही।
- महिलाओं की सहायता के लिए बनाई गई हेल्पलाइन में कार्यरत महिला कर्मचारी अब खुद ही उत्पीडऩ की शिकार हो रही है।
- उनका सुनने वाला कोई नही है।
- महिला कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से न्याय मांग कर रही है।
वहीं हेल्पलाइन के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि:-
- सरकार द्वारा बजट न मिलने की वजह से भुगतान नही हुआ है।
कर्मचारियों के अनुसार इस सेवा को अफसरों बर्बाद कर दिया:-
- दरअसल, सपा सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से उन्हें बचाने के लिए छह सीटर 181 महिला हेल्पलाइन का कॉल सेंटर शुरू किया था।
- कॉल सेंटर की उपयोगिता देख योगी सरकार ने इस सेवा का विस्तार कर कॉल सेंटर को 30 सीटर कर दिया था।
- साथ ही सभी 75 जिलों में रेस्क्यू वैन सेवा शुरू की थी।
- शुरुआत से कॉल सेंटर संचालन का जिम्मा 108 एवं 102 एंबुलेंस चलाने वाली जीवीके-ईएमआरआइ कंपनी को दिया गया।
- कॉल सेंटर में हर दिन 400 से 500 पीडि़त महिलाओं की कॉल आती थी।
- परेशान महिला कर्मचारियों के अनुसार इस सेवा को अफसरों बर्बाद कर दिया है।
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