सवित्री की तरह प्रज्ञा ने यमराज से छीन अपने पति के प्राण और बचा ली जान

जनपद मैनपुरी मैं एक महिला की दुख भरी कहानी देखने को मिली जिसने यमराज से पति के प्राण बापस लाने वाली पतिव्रता सावित्री की कहानी को चरितार्थ कर दिया

जनपद मैनपुरी मैं एक महिला की दुख भरी कहानी देखने को मिली जिसने यमराज से पति के प्राण बापस लाने वाली पतिव्रता सावित्री की कहानी को चरितार्थ कर दिया, ऐसी ही हम आपको एक कहानी की घटना की पूरी सच्चाई बताते जा रहे हैं अक्सर प्रेम विवाह के बाद आपने पति पत्नी मे झगड़े होते देखे होंगे कभी पत्नी पति से झगड़ती है तो कभी पति पत्नी से। और कभी कभी ये झगड़ा हद से ज्यादा बढ़ जाता है।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पति पत्नी के बारे में बताएंगे जिन्होंने प्रेम विवाह तो किया ही और एक दूसरे सुख में साथी रहे पर दुख में बो साथ निभाया जिसे आज सब सलाम कर रहे है।पति के लिए पत्नी के इस त्याग को शायद ही कोई कर पायेगा जो प्रज्ञा ने किया।

सवाल पति की जिंदगी का था। लिवर खराब हुआ तो पति का जीवन खतरे में पड़ गया। जब सारी उम्मीदें टूट गईं तो पत्नी ने जान बचाने के लिए 60 प्रतिशत लिवर डोनेट कर दिया। अस्पताल में पति ने आंखें खोलीं तो पत्नी ही नहीं बल्कि अस्पताल का स्टाफ भी रो पड़ा। बेवर की प्रज्ञा सेंगर को इस बात की बेहद खुशी है कि उन्होंने अपना पत्नी धर्म निभाया तो उनके पति की जान बच गई।

फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम माडर निवासी प्रज्ञा सेंगर ने वर्ष 2000 में बेवर के बस स्टैंड निवासी पुष्पेंद्र सिंह सेंगर से प्रेम विवाह किया था। पहले उनके पति रोडवेज में परिचालक थे। बाद में शिक्षा विभाग में शिक्षक बन गए। इस समय उनकी तैनाती शाहजहांपुर जनपद में है।

शादी के बाद प्रज्ञा एक बेटे की मां बन गईं। पांच वर्ष पूर्व उनके पति को पेटदर्द हुआ। जांच कराई गई तो पता चला कि उनका लिवर 25 प्रतिशत रह गया है। आगरा में बताया गया कि दिल्ली में इसका उपचार हो सकता है। लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए।

दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटल में पुष्पेंद्र सेंगर भर्ती हुए तो डॉक्टरों ने कहा कि इन्हें लिवर डोनेट किया जाए तो जान बच सकती है। यह बात सुनकर प्रज्ञा ने पति की जान बचाने के लिए अपना 60 फीसदी लिवर पति को डोनेट कर दिया। 40 प्रतिशत लिवर के सहारे अब प्रज्ञा अपनी जिंदगी की बसर करेंगी। लेकिन उन्हें पति की जान बचाने की बेहद खुशी है।

पति की जान बचाने के लिए प्रज्ञा को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। किसी ने उनसे कह दिया कि गंगाघाट के किनारे जलती लाशों के बीच तंत्र क्रिया करें तो वे अकेली फर्रुखाबाद तंत्र क्रिया करने पहुंच गईं।

लिवर ट्रांसफर होने के बाद जब उनके पति ने आंखें नहीं खोलीं तो डॉक्टर ने कहा कि इन्हें कोई ऐसी बात याद दिलाई जाए जिससे इनका दिमाग एक्टिव हो जाए। प्रज्ञा ने डॉक्टरों के कहने पर पति को अपने प्रेमसंबंधों की याद दिलाई। इसके बाद उनके पति ने आंखें खोल लीं।

Related Articles

Back to top button