दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव” विषय पर हुआ अंतरराष्ट्रीय वेबिनार
रामकथा केवल आस्था नहीं, यह संस्कार का अहम स्रोत भी, दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव” विषय पर हुआ अंतरराष्ट्रीय वेबिनार
South Kosala Ramlila लखनऊ : “दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव” विषय पर हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला केवल आस्था तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में यह तो संस्कार का अहम् स्रोत है। कोसल क्षेत्र में रामलीला लोगों के दैनिक जीवन में अंगीकृत हो चुकी हैं।
इसलिए प्रभु राम, जन्म से लेकर मृत्यु तक स्वाभाविक रूप से जुड़ गए हैं।
- कोसल क्षेत्र के विभिन्न गावों में रामलीला प्रदर्शन स्थलों पर स्थाई रुप से लगी रावण की प्रतिमाएं जन-जन को संदेश देती है कि अधर्मी चाहें जितना शक्ति शक्तिशाली क्यों न हो पर उसका अंत होकर रहता है।
- ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण-उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट-छत्तीसगढ़ की ओर से अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन रविवार 19 जुलाई को किया गया।
- अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह की परिकल्पना में हुए इस वेबिनार में मुख्य अतिथि संस्कृति और पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने राम के जन नायक रूप से प्रेरणा लेने का संदेश दिया
- कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट के सदस्य सचिव, डॉ.सच्चिदानंद जोशी की।
South Kosala Ramlila अधर्मी चाहे जितना शक्तिशाली क्यों न हो उसका अंत होकर रहता है:-
- जगमोहन रावत के तकनीकी निर्देशन में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य वक्ता अशोक तिवारी इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के पूर्व म्यूजियम क्यूरेटर ने मुख्य वक्तव्य में कहा कि कोसल क्षेत्र के हर गांव में शारदीय नवरात्र में रामलीला की उन्नत परंपरा है।
- वहां रामलीला स्थल पर रावण की आठ से दस फिट ऊंची प्रतिमाएं स्थाई रुप स्थापित की जाती हैं।
- उस स्थल को रावण भाटा नाम दिया जाता है।
- पहले प्रतिमाएं मिट्टी की बनती थी कालांतर में सीमेंट की बनायी जाने लगी हैं।
रामायण के आदर्शों को भी अपने जीवन में भली-भांति अपना लिया है:-
- इसके माध्यम से संदेश दिया जाता है कि अधर्मी चाहे जितना शक्तिशाली क्यों न हो उसका अंत होकर रहता है।
- अतिथि वक्ता मॉस्को स्थित लिंग्विस्टिक यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर मक्सीम देम्चेन्को ने कहा कि राम के चरित्र ने उन्हें इतना अधिक प्रभावित किया कि उन्होंने अपना नाम ही रामचन्द्र रख लिया है।
- उन्होंने रामायण के आदर्शों को भी अपने जीवन में भली-भांति अपना लिया है।
- उनके अनुसार राम के आदर्श वास्तव में विश्व समाज को प्रेरित और संस्कारित करने वाले हैं।
- दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट के सदस्य सचिव.
- डॉ.सच्चिदानंद जोशी की अध्यक्षता में आयोजित इस वेबिनार में छत्तीसगढ़ के मशहूर फिल्म अभिनेता और पद्मश्री अनुज शर्मा ने छत्तीसगढ़ में रामलीला के तकनीकी पक्षों की जानकारी दी।
- उन्होंने संवाद आदायगी से लेकर रामलीला के वृहद रूप को प्रभावी रूप में अभिव्यक्त किया।
- सीएसएचडी के सचिव विवेक सक्सेना सक्सेना आयोजक की भूमिका में सभी का आभार प्रदर्शन किया।
- इस संगोष्ठी में देश विदेश से हजारों लोग जुड़े तथा ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण छत्तीसगढ़ के संयोजक एवं इण्डोलॉजिस्ट ललित शर्मा ने इस वेबिनार का कुशल संचालन किया।
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