अमेठी : घूंघट के अंदर छिप गया विकास -जाने क्या है मामला !

कई सारे लोगों के अनुसार उन्होंने अभी तक अपने चुने गए ग्राम प्रधानों को देखा तक नहीं है। देखा है तो सिर्फ ग्राम प्रधान के प्रधानपति व प्रधान प्रतिनिधि को।

अमेठी : भले ही सरकार ने सामाजिक न्याय व्यवस्था को समरूपता देने के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू की हो, लेकिन आधुनिक युग में भी इस व्यवस्था की मंशा साकार होते नहीं दिख रही है। महिलाओं के लिए ग्राम प्रधान की आरक्षित सीटों पर केवल इनका नाम ही चलता दिखाई दे रहा है। प्रधान पद की जिम्मेदारी इनके परिवार के पुरुष ही निभा रहे है। जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद महिलाएं अब भी घूंघट से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। कई सारे लोगों के अनुसार उन्होंने अभी तक अपने चुने गए ग्राम प्रधानों को देखा तक नहीं है। देखा है तो सिर्फ ग्राम प्रधान के प्रधानपति व प्रधान प्रतिनिधि को।

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इसकी बानगी जनपद अमेठी के सभी ब्लाक मुख्यालय मे देखने को मिल रही है ।महिला प्रधान लंबा घूंघट मारकर अपने घरो मे बैठी रहती है और उनके प्रतिनिधि ब्लाक से लेकर ग्राम पंचायतो मे स्वयं प्रधानी करते है। जिले की शायद ही कोई महिला ऐसी हो जो सीधे राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त हो। अधिकांश घरेलू महिलाएं ही हैं। कारण महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर केवल इनका नाम ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

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