कहानी यूपी की- घाटों का शहर बनारस, एक अंतहीन यात्रा..
Varanasi city of ghats काशी या बनारस नाम से विख्यात, वाराणसी आध्यात्मिक ज्ञान और बेहतरीन दृश्यों के लिए तो जाना जाता है साथ ही साथ यह शहर दुनिया भर से हज़ारों हिंदु तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित भी करता है…
काशी या बनारस नाम से विख्यात, वाराणसी आध्यात्मिक ज्ञान और बेहतरीन दृश्यों के लिए तो जाना जाता है साथ ही साथ यह शहर दुनिया भर से हज़ारों हिंदु तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित भी करता है। गंगा नदी किनारे बसे 100 से अधिक घाट की बहती हवा इस आध्यात्मिक शहर से होकर गुजरती है।
यहां हम आपको कुछ घाटों के बारे में बता रहें जो..वाराणसी के समृद्ध इतिहास और संस्कृति का प्रतीक हैं।
Varanasi city of ghats ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट…
सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण घाटों में एक दशाश्वमेध घाट वाराणसी के सबसे ओजस्वी घाटों में से एक है। इस घाट को लेकर दो हिंदु पौराणिक कथाएं प्रचलित है, पहला कि इस घाट का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव के स्वागत के लिए करवाया था.
दूसरी पौराणिक कथा है कि यहां यज्ञ के दौरान 10 घोड़ों की बलि दी गई थी। संध्याकाल में गंगा आरती के दौरान दशाश्वमेध घाट जीवंत हो उठता है। भगवा रंग के परिधान को धारण किए युवा पंडितों द्वारा प्रस्तुति और गंगा आरती एक विस्तृत समारोह के रूप में होता है.
- जो पूजा, नृत्य और अग्नि (आग) के साथ समाप्त की जाती है।
- नदी किनारे जलती दीपक की रोशनी और चंदन की महक घाट को ढक लेती है।
- घाट के नज़दीक स्थित जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाया गई वेधशाला जंतर-मंतर का नज़ारा भी दिखाई देता है।
प्रयाग घाट:-
- दिन रात पूजा-अर्चना करने आने वाले श्रद्धालुओं से भरा रहने वाला प्रयाग घाट वाराणसी के महत्वपूर्ण घाटों में से एक है।
- दशाश्वमेध घाट के ठीक बाईं ओर स्थित इस घाट का निर्माण सन 1778 में बालाजी बाजीराव ने करवाया था।
- यह इलाहाबाद के पवित्र शहर प्रयाग का प्रतिरुप है।
- यहां ज्योतिषी रतन छाते के नीचे बैठकर आए हुए तीर्थयात्रियों के भाग्य पढ़ते हैं।
अस्सी घाट…
- गंगा और अस्सी नदी के संगम पर स्थित अस्सी घाट वाराणसी के सबसे दक्षिण में स्थित घाटों में से एक है।
- श्रद्धालु यहां शिवलिंग के रुप में भगवान शिव की पूजा से पहले स्नान करते हैं।
- यह वो स्थान है जहां लंबे समय के लिए आए शोद्यार्थी, विदेशी छात्र और पर्यटक आते हैं।
- यह वही अस्सी घाट है जहां मशहूर भारतीय कवि तुलसी दास जी ने रामचरितमानस जैसे ग्रंथ की रचना की थी।
- इस घाट पर शिवरात्रि जैसे बड़े त्योहारों पर लगभग 22,000 लोग समायोजित हो सकते हैं।
- यहां प्रत्येक शाम 7 बजे आरती का आयोजन किया जाता है।
- कई श्रद्धालु इस आरती को इसे देखने के लिए नौका को प्राथमिकता देते हैं।
मणिकर्णिंका घाट..
वाराणसी शहर के सबसे अनोखे पहलुओं में से एक है मणिकर्णिका घाट पर स्थित अंतिम संस्कार की जगह जो शहर के भीतर और पवित्र मंदिरों के पास स्थित है। कतार में रखी लकड़ियों के ढेर और आग की धारा में लगातार जलते शव, प्रत्येक शवों को कपड़े में लपेट कर एक अस्थायी स्ट्रेचर पर गलियों से लाया जाता है।
- ऐसे कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव नें भगवान विष्णु को एक वरदान दिया।
- जिसमें उन्होंने कहा था कि जिसकी मृत्यु काशी में होगी वह जन्म और मृत्यु के अंतहीन चक्र से मुक्त हो जाएगा और उसकी आत्मा भी मुक्त हो जाएगी।
- बनारस एक ऐसा शहर है जिसकी न जाने कितनी कहानियां हैं..
- महाकाल की नगरी बनारस को लेकर आज यूपी की कहानी में इतना ही….
इस शहर की और खूबसूरती दिखाएंगे अगले वीडियो में….तब तक के लिए बने रहिए ‘द यूपी खबर के साथ’….
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