हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल है मदार बाबा का मेला

हर वर्ष फरवरी माह में शुरू होकर 13 दिन तक लगने वाला यह मेला महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होता है

महराजगंज: पड़ोसी मुल्क मित्र राष्ट्र नेपाल के जिला नवलपरासी के महलबारी के निकट तीन हजार फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मदार बाबा का बना मजार हिन्दू मुस्लिम धार्मिक आस्था का केन्द्र है। हर वर्ष फरवरी माह में शुरू होकर 13 दिन तक लगने वाला यह मेला महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होता है। भारत नेपाल के निवासी हिन्दू मुसलमानों के आपसी सौहार्द एवं सांस्कृतिक संबंधों की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में मदार मेले की पहचान है। हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु उक्त मजार पर चादर चढ़ा कर मनौती मांगते हैं।

लोगों की धारणा है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को मदार बाबा पूरा करते हैं। मदार बाबा के प्रसिद्धि के संबंध में किवदंतिया हैं, कि भागवान शंकर के विवाह में उनके साथ गये भूत प्रेत सहित कुछ बारातियों को भगवान भोले नाथ ने इसी पहाड़ी पर रूकने को कहा था तभी से भूत प्रेत बने बराती भोले भंडारी के आदेश का इन्तजार कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि ये यहां प्रेत बाधाओं से ग्रस्त लोगों को मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए उक्त मेला महा शिव रात्रि पर्व के तेरह दिन पूर्व से लगना शुरू होता है। दूसरी ओर मदार बाबा का मजार होने के नाते मुस्लिम बिरादरी की गहरी आस्था जुड़ी है।

श्रद्धालुओं का मानना है कि मदार बाबा के स्थान पर चादर चढ़ाकर मन्नते मांगने पर वह अवश्य पूरी होती है। मुर्गा चढ़ाने की परम्परा के साथ आस्थावान श्रद्धालु मजार के पास स्थित एक विशाल वृक्ष में मनौती कर दुपट्टा व चुनरी आदि बांधते है और मनोकामना पूर्ण होने पर मौके पर पहुंच उसे खोल देते हैं। मजार की देखभाल व पूजा पाठ करने वाले मौलवी के मुताबिक ऊंची पहाड़ी के घने जंगलों में वर्षों बदीउद्दीन मदार साहब ने 40 दिन का चिल्ला किया था। 442 हिजरी संवत में जन्में मदार साहब के पिता सैयद अली व माता फातमा रही। कहा जाता है कि पांच वर्ष की छोटी अवस्था में ही मदार साहब संत नजर आते थे। अपने गुरू हुजैफा शामी के निर्देश पर मदार बाबा ने उत्तर प्रदेश के कानपुर के निकट मकनपुर नामक स्थान पर भी चिल्ला किया था। उनका असल मजार मकनपुर मे है। मजार पर एक कद्दूनुमा पत्थर भी है। जिसे मान्यता है कि घमंड के साथ उठाने वाला व्यक्ति उठाने में सफल नहीं हो पाता। श्रद्धालुओं का कहना हैे कि वहां पहुंचने पर सबकी मुरादें पूरी होती हैं।

बाइट- श्रद्धालु

रिपोर्ट- अशफाक खान महराजगंज

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