RIP LATA MANGESHKAR: जानिए किसने लता जी को ताज महल में गाने से किया था मना

लता मंगेशकर जी ने भारतीय गीत और संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। जहां लोग उनकी सादगी की बात करते हैं, वहीं उनके स्वभाव को लेकर भी अनेक कहानियां सुनने को मिलती हैं

लता मंगेशकर जी ने भारतीय गीत और संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। जहां लोग उनकी सादगी की बात करते हैं, वहीं उनके स्वभाव को लेकर भी अनेक कहानियां सुनने को मिलती हैं। इन्हीं कहानियों में एक कहानी आगरा के ताजमहल से भी जुड़ी हुई है.

7 अजूबों में से एक माना जाने वाला आगरा का एक स्मारक ‘ताजमहल’ दुनिया की हर ‘खास-ओ-आम’ शख्सियत को अपने यहां खींच लाता है। लता ताई भी एक बार लता दीदी ताजमहल घूमने आई थीं, और उस वक्त जो वाकया उनके साथ हुआ था वो हम आपको बताते हैं. ‘लता जी अपने भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर, बहन मीना और उषा के साथ ताजमहल देखने आगरा आई थीं। वह चांदनी रात थी, ताजमहल बेहद सुंदर लग रहा था।

परिवार के साथ ताजमहल गयी थी लता जी-

फिर लता जी और अन्य सभी ताजमहल के अंदर गए ताजमहल के अंदर जब वो लोग आपस में बात कर रहे थे तो आवाज गूंज रही थी। तब ह्रदयनाथ ने लता मंगेशकर के सामने कोई राग गाने का प्रस्ताव रखा। भाई बहन जोर-जोर से राग यमन गाने लगे। कभी ह्रदयनाथ तान छेड़ते तो कभी लता मंगेशकर तान लेतीं। तभी मेन गेट से एक आदमी ने चिल्लाकर कहा – ये क्या चल रहा है, यहां गाना मना है, आप लोग कौन हैं.. गाना मत गाइए…इतना सुनते ही लता और ह्रदयनाथ खामोश हो गए और सभी वहां से बाहर निकल गए।’ ऐसे तजामहल में स्वर कोकिला की आवाज गूंजने से वंचित रह गया।

बताते चलें कि आज लता दीदी को हर कोई याद कर रहा है. लता दीदी के जीवन से जुड़े कई छोटे बड़े किस्से सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं. लता मंगेशकर से जुड़े कई किस्सा सामने आ रहे है, जिस किस्से के बारे में हम बात कर रहें हैं उस किस्से के बारे में सिनेमा, साहित्य औऱ राजनीति में गहरी रूचि रखने वाले पत्रकार अनंत विजय ने ट्वीटर पर जिक्र किया है.

सादगी और सरस्वती की प्रतिमूर्ति थी लता जी –

आपको एक कहानी और बताते हैं जिसने लता मंगेशकर जैसी शख्सियत को सादगी और सरस्वती की प्रतिमूर्ति का बखान करती है…… इतनी बड़ी कलाकार होकर भी लता मंगेशकर अभिमान से दूर रहती थी

जिसे मान लेती हैं उनका पूरा सम्मान करती थीं। 1999 में जब भारत रत्न सम्मान उनके स्थान पर पंडित रविशंकर को दिया गया, तब लताजी के प्रशंसक भड़क उठे। लेकिन लता का नजरिया साफ था, पंडित जी बहुत बड़े कलाकार हैं। उनके निर्देशन में जब फिल्म अनुराधा के गाने गा रही थी, तब बहुत घबराई हुई थी।

बार-बार यही प्रार्थना करती कि मैं उस तरह गा सकूं जैसे उन्होंने सोचा है। यह सम्मान उन्हें पहले मिलना चाहिए। उनके जैसे कलाकार सदियों में जन्म लेते हैं। पंडित रविशंकर भी लता मंगेशकर का बहुत सम्मान करते थे। अनुराधा फिल्म में उनके संगीतबद्ध किए गीत आज भी बेमिसाल माने जाते है

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