मथुरा : 41 दिन के होली के पर्व की आज से होगी शुरुआत
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में आज ही के दिन से 41 दिन के होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है
वैसे तो दुनिया के कोने-कोने में हिन्दू समाज के लोग आज के दिन बसंत-पंचमी का त्यौहार मनाते है लेकिन बृजभूमि में इस त्यौहार का अपना अलग ही महत्त्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में आज ही के दिन से 41 दिन के होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है और इस दिन यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों में जमकर गुलाल उड़ाया जाता है.
वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर में भी बसंत-पंचमी की इस होली का नजारा बेहद मनभावन होता है. होली शुरू होने में भले ही अभी 40 दिन का वक़्त हो, लेकिन बृज में अभी से ही होली की शुरुआत हो चुकी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में बसंत ऋतू के आगमन के साथ ही बसंत-पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है. यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों में आज ही के दिन से गुलाल उड़ाने की शुरुआत हो जाती है और ये सिलसिला अगले 45 दिन तक चलता है.
जमकर उड़ाया जाता है गुलाल –
बसंत-पंचमी के दिन वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बाँके बिहारी मंदिर में भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है. परंपरा के अनुसार आज के दिन मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बाँके बिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते है और उसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों द्वारा जमकर बसंती गुलाल उड़ाया जाता है.
मंदिर में होली की विधिवत शुरुआत होने के कुछ देर बाद ही प्रांगण में माहौल बेहद खुशनुमा हो जाता है और यहाँ सिर्फ गुलाल ही गुलाल नजर आता है प्रांगण में मौजूद श्रद्धालू भी भगवान बाँके बिहारी के साथ होली खेलने के इस पल का खूब आनंद उठाते है और एक-दूसरे पर भी जमकर गुलाल लगाते है.
होलिका बनाने की भी होती है शुरूआत-
बसंत-पंचमी के दिन से ही मंदिरों में होली खेलने की शुरुआत होने के साथ ही बृज में होली का डाँढ़ा गाढ़ने की भी परम्परा रही है इसीलिए आज ही के दिन यहाँ जगह-जगह पूजा-अर्चना करने के साथ होलिका बनाने की भी शुरूआत हो जाती है
बाईट:– (सेवायत श्रीबांकेबिहारी मंदिर वृन्दावन)
बाईट: –महिला पुरुष
-श्रधालू
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