26 जनवरी स्पेशल : देश की आजादी के साथ शुरू हुए थे घोटाले, रकम कैलकुलेटर नहीं जोड़ सकता

आप को बता रहे हैं कि हमारे देश में विकास और सहायता के नाम पर मिले पैसे को कैसे भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया गया। घोटालों की नींव देश के आजाद होने के साथ ही पड़ गयी थी।

लखनऊ : देश में में तेजी से कंक्रीट का जंगल उग रहा है, जिसे बुलंद भारत की तस्वीर के तौर पर पेश किया जा रहा है। इसके साथ ही वो भारत भी है जहां कुपोषण से मौतें हो रही हैं। बड़े तो क्या बच्चों को भी भर पेट पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा। सैकड़ो गांवों में बिजली नहीं है, पीने के पानी के लिए हत्या हो रहीं है। देश विकसित हो रहा है भ्रष्टाचार जवान हो रहा। आप को बता रहे हैं कि हमारे देश में विकास और सहायता के नाम पर मिले पैसे को कैसे भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया गया। घोटालों की नींव देश के आजाद होने के साथ ही पड़ गयी थी।

जीप खरीद (1948)
भारत सरकार ने लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख का था। केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। 1955 में केस बंद कर दिया गया। मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।

साइकिल आयात (1951)
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। जेल जाना पड़ा।

मुंध्रा मैस (1958)
हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ से संबंधित मामला उजागर हुआ। वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा, मुंध्रा को जेल जाना पड़ा।

तेजा ऋण
1960 में बिजनेसमैन धर्म तेजा ने शिपिंग कंपनी शुरू करने के लिए सरकार से 22 करोड़ लोन लिया। धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। यूरोप में गिरफ्तार किया गया।

पटनायक मामला

1965 में उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को इस्तीफा देने केलिए मजबूर किया गया। उन पर अपनी निजी स्वामित्व कंपनी कलिंग ट्यूब्स को सरकारी कांट्रेक्ट दिलाने का आरोप था।

मारुति घोटाला

मारुति कंपनी बनने से पहले घोटाला हुआ जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आया। लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई।

कुओ ऑयल डील

1976 में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांगकांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को 13 करोड़ का चूना लगा।

अंतुले ट्रस्ट

1981 महाराष्ट्र में सीमेंट घोटाला हुआ। मुख्यमंत्री एआर अंतुले पर आरोप लगा।

एचडीडब्लू दलाली (1987)

जर्मनी की पनडुब्बी कंपनी एचडीडब्लू को काली सूची में डाल दिया गया। मामला था कि उसने 20 करोड़ रुपये कमिशन दिए हैं। 2005 में केस बंद कर दिया गया। फैसला एचडीडब्लू के पक्ष में।

बोफोर्स घोटाला

1987 में एक स्वीडन की बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि भारतीय 155 मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब 64 करोड़ का घपला किया।

सिक्योरिटी स्कैम

1992 हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 5000 करोड़ का घाटा हुआ।

इंडियन बैंक

1992 बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने बैंक से करीब 13000 करोड़ उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।

चारा घोटाला

1996 में बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशु पालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए 950 करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।

तहलका

न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। सरकार द्वारा की गई 15 डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है। इजराइल से बारक मिसाइल डील भी इसमें है।

स्टॉक मार्केट

स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में 1,15,000 करोड़ का घोटाला किया। दिसंबर,2002 में इन्हें गिरफ्तार किया गया।

स्टांप पेपर स्कैम

यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।

सत्यम घोटाला

2008 में सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा 8000 करोड़ का घोटाले का मामला सामने आया।

मनी लांडरिंग

2009 में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।

बोफर्स घोटाला- 64 करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ – 22 जनवरी,1990

एच.डी. डब्ल्यू सबमरीन-32 करोड़ रु.
मामला दर्ज हुआ -5 मार्च, 1990

1981 में जर्मनी से 4 सबमरीन खरीदने के 465 करोड़ रु. इस मामले में 1987 तक सिर्फ 2 सबमरीन आयीं, रक्षा सौदे से जुड़े लोगों द्वारा लगभग 32 करोड़ रु. की कमीशनखोरी की।

स्टाक मार्केट घोटाला- 4100 करोड़ रु.
सजा – हर्षद मेहता सहित कुल 4 को
हर्षद मेहता द्वारा किए गए इस घोटाले में लुटे बैंकों और निवेशकों की भरपाई करने के लिए सरकार ने 6625 करोड़ दिए।

एयरबस घोटाला- 120 करोड़ रु.
बोइंग 757 की खरीद का सौदा, पैसा वापस नहीं आया

दूरसंचार घोटाला-1200 करोड़ रुपए
वसूली – 5.36 करोड़ रुपए
पूर्व मंत्री सुखराम को सजा

यूरिया घोटाला- 133 करोड़
तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसे दिए, जो कभी आया ही नहीं।

सी.आर.बी- 1030 करोड़ रुपए
चैन रूप भंसाली (सीआरबी) ने 1 लाख निवेशकों का लगभग 1 हजार 30 करोड़ रु. डुबाया और अब वह न्यायालय में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज मांग रहा है।

केपी- 3200 करोड़ रुपए
हर्षद मेहता की ही तरह केतन पारेख ने बैंकों और स्टाक मार्केट के जरिए निवेशकों को चूना लगाया।

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