बेटे के अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटकती रही बुजुर्ग माँ
आला अधिकारी सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के आदेशों को पलीता दिखाते नजर आ रहे हैं
जहाँ एक तरफ योगी आदित्यनाथ कड़ाके की ठंढ से बचने के लिए जिले के आला अधिकारियों को जगह,जगह अलाओ और ठंड से बचने के लिए गरीबो को कंम्बल बांटने के लिए निर्देश दिया हैं, वही जिले के आला अधिकारी सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के आदेशों को पलीता दिखाते नजर आ रहे हैं, इसकी जीती जागती तश्वीर लखीमपुर खीरी जिले से निकलकर सामने आ रही हैं,
लखीमपुर खीरी जिले में गरीबी के चलते अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए बुजुर्ग माँ दर-दर भटकती रही, मामला शारदानगर के जमुनिया गाँव का है .
जमुनिया गाँव की रहने वाली कल्लो देवी का परिवार लंबे समय से गरीबी की मार झेल रहा है, कल्लो देवी का 40 साल का इकलौता बेटा अचानक बीमार हो गया कल्लो देवी का कहना है कि ठंडी लग गई थी, बीमारी के चलते उसको जिला अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई, बेटे की मौत की खबर सुनते ही कल्लो देवी के सर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, अपने बेटे को लेकर श्मशान घाट पहुंची, लेकिन इस गरीब बुजुर्ग माँ के पास न तो लकड़ी का पैसा था और न ही कफ़न का पैसा साथ मे मृतक राजू का बेटा था। लेकिन शायद इसकी गरीबी पर किसी को तरस न आया, इसके दर्द को बांटने वालों तक शायद इस बूढ़ी माँ की चीखे न सुनाई दीं।
कुछ देर बाद श्मशान घाट पर इंतज़ार करने के बाद वहाँ मौजूद श्मशानघाट के कर्मचारियों ने उसके आंशू पोंछे कफ़न से लेकर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी निःशुल्क मुहैया कराई फिर ठंड से बेहाल उस माँ को एक कम्बल भी दिया, इंसानियत का ये रूप शायद ये उनके मुँह पर एक बहुत बड़ा तमाचा होगा जो जमुरियत का ढोल पीटते नज़र आते हैं.
अगर आज उस बुजुर्ग महिला को उसके बेटे के अंतिम संस्कार के लिए कफ़न न मिला होता तो आज गांव की गरीबी में लिपटी भीड़ का शहर की चकाचौंध वाली जिंदगी और इंसानियत से भरोसा उठ जाता, अंतिम संस्कार के बाद कल्लो देवी एक गठरी में अपना सामान लपेटकर अपने पोते के साथ अपने गाँव वापस लौट गई।
बाइट-कल्लो देवी (मृतक राजू की माँ)
बाइट-श्मशान घाट कर्मचारी
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