चुनाव 2022 : वाराणसी मंडल में सपा के पास मौका… मोदी, बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर
हर-हर मोदी घर-घर मोदी और मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। इसके बाद शिव की काशी के घाटों पर जब पीएम नरेंद्र मोदी फावड़ा लेकर उतरे तो काशी ही नहीं देश फिदा हो गया। काशी को क्योटो बनाने का दावा था, लेकिन वो हो ना सका हां! रोड़ और फ्लाईओवर के साथ ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर साकार हो चुका है।
वाराणसी : हर-हर मोदी घर-घर मोदी और मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। इसके बाद शिव की काशी के घाटों पर जब पीएम नरेंद्र मोदी फावड़ा लेकर उतरे तो काशी ही नहीं देश फिदा हो गया। काशी को क्योटो बनाने का दावा था, लेकिन वो हो ना सका हां! रोड़ और फ्लाईओवर के साथ ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर साकार हो चुका है। शिव की नगरी उस समय राजनीति के केंद्र में आई जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़े और पूर्वांचल विकास की योजना पर काम शुरू हुआ। इस का परिणाम दिखा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब वाराणसी जिले की 8 सीटें बीजेपी और उसके साथियों ने जीत ली। वाराणसी मंडल में विधानसभा की 28 सीटें आती हैं। इनमें से 16 बीजेपी के पास हैं जबकि 2 सीट उसके साथी अपना दल सोनेलाल के पास हैं। बीजेपी के खाते में वाराणसी की 6, जौनपुर की 4, गाजीपुर की 3, चंदौली की 3 सीट हैं। वाराणसी की सेवापुरी और जौनपुर की मडि़याहूं सीट अपना दल सोनेलाल के पास हैं।
गाजीपुर की 2 और वाराणसी की 1 सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के पास है। जौनपुर की 3, गाजीपुर की 2 और चंदौली की 1 सीट यानि की 6 सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में हैं और बसपा के पास मुंगरा बादशाहपुर सीट है। इस तरह देखा जाए तो बीजेपी के पास घर बचाने की चिंता है तो और सपा के सामने विस्तार का मौका है। तो वहीं, बसपा और कांग्रेस की बात की जाए तो इन दोनों दलों को यहां काफी पसीना बहाना पड़ेगा।
मंडल के जिलों को अभी भी विकास की तलाश
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नंदगंज चीनी मिल और बहादुरपुर की कताई मिल बंद है। 1997 में चंदौली जिला बना लेकिन जिला मुख्यालय का भवन बनने में 20 साल लग गए। हैरत की बात ये है कि अभी भी पुलिस लाइन और एसपी ऑफिस नदारद है। राजदरी व देवदरी जैसे जल प्रपात और नौगढ़ आज भी पर्यटक की राह देखते हैं। हां! एक मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास अवश्य हुआ है। मरीजों को आज भी वाराणसी जाना पड़ता है। गंगा की कटान, सिंचाई सुविधाओं का अभाव, सड़कों की बदतर हालत किसी से छुपी नहीं है।
इस पूरे इलाके में बीएचयू और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ही शिक्षा केंद्र हैं लेकिन इतनी बड़ी आबादी के लिए ये पर्याप्त नहीं है। मंडल में औद्योगिक विकास की बातें तो बहुत हुई लेकिन ये सिर्फ बातें ही थी। अधिकांश कल-कारखाने या तो बंद हो चुके हैं या बंदी की कगार पर हैं। इसी तरह पुल बनाने का वादा होता है, पर वादा पूरा नहीं होता।
अब देखिए वाराणसी मंडल की सभी सीटों का समीकरण
वाराणसी 8 सीट
वाराणसी कैंट : बीजेपी के सौरभ श्रीवास्तव विधायक।
समीकरण : ब्राह्मण लगभग 70 हजार, मुस्लिम 60 हजार, अनुसूचित जातियां 30 हजार, यादव 20 हजार, वैश्य व कायस्थ 15-15 हजार, क्षत्रिय व भूमिहार 10-10 हजार।
शहर उत्तरी : राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल विधायक हैं।
समीकरण : क्षत्रिय व मुस्लिम लगभग 70-70 हजार, वैश्य 40 हजार, यादव 30 हजार, कायस्थ, पटेल व अनुसूचित जातियां 15-15 हजार, ब्राह्मण, सोनकर व राजभर 20-20 हजार।
शहर दक्षिणी : पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नीलकंठ तिवारी विधायक हैं।
समीकरण : मुस्लिम लगभग 1 लाख, ब्राह्मण 25 हजार, यादव व अनुसूचित जातियां 20-20 हजार, वैश्य 15 हजार, अन्य जातियों के साथ ही गुजराती भी 10 हजार।
रोहनिया : बीजेपी के सुरेंद्र नारायण सिंह विधायक।
समीकरण : पटेल लगभग 70 हजार, राजभर 40 हजार, अनुसूचित जातियां 30 हजार, भूमिहार 25 हजार, मुस्लिम 22 हजार, मौर्य व यादव 20-20 हजार, ब्राह्मण 5 हजार।
सेवापुरी : अपना दल से नीलरतन पटेल विधायक।
समीकरण : भूमिहार लगभग 35 हजार, ब्राह्मण व अनुसूचित जातियां 30-30 हजार, यादव व मुस्लिम 25-25 हजार, क्षत्रिय व राजभर 20-20 हजार, बिंद 10 हजार।
शिवपुर : पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंत्री अनिल राजभर विधायक हैं।
समीकरण : यादव व अनुसूचित जातियां लगभग 60-60 हजार, राजभर-40 हजार, ब्राह्मण 32 हजार, वैश्य, मौर्य, पटेल व मुस्लिम 25-25 हजार, क्षत्रिय व निषाद 15-15 हजार।
पिंडरा : बीजेपी से अवधेश सिंह विधायक।
समीकरण : पटेल लगभग 80 हजार, ब्राह्मण 60 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, भूमिहार 30 हजार, राजभर व मौर्य 25-25 हजार, वैश्य व मुस्लिम 20-20 हजार।
अजगरा (सुरक्षित) : सुभासपा से कैलाश सोनकर विधायक।
समीकरण : यादव व अनुसूचित जातियां लगभग 60-60 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, राजभर व पटेल 30-30 हजार, क्षत्रिय व मुस्लिम 20-20 हजार, मौर्य व वैश्य 15-15 हजार।
जौनपुर 9 सीट
शाहगंज : सपा के ललई यादव विधायक।
समीकरण : यादव 61 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, क्षत्रिय 40 हजार, बिंद 35 हजार, राजभर 33 हजार, मुस्लिम 30 हजार, ब्राह्मण 28 हजार, मौर्य व चौहान 13-13 हजार, पाल 10 हजार।
मछलीशहर (सु.) : जगदीश सोनकर सपा विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 61 हजार, यादव 60 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 31 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, बिंद 22 हजार, वैश्य व मौर्य 17-17 हजार, पटेल 13 हजार, प्रजापति 10 हजार।
जौनपुर सदर : मंत्री गिरीश चंद्र यादव विधायक हैं।
समीकरण : मुस्लिम लगभग 90 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, वैश्य 40 हजार, मौर्य 37 हजार, यादव 33 हजार, बिंद 29 हजार, क्षत्रिय व राजभर 26-26 हजार, ब्राह्मण 22 हजार।
बदलापुर : बीजेपी के रमेशचंद्र मिश्रा विधायक।
समीकरण : ब्राह्मण 70 हजार, यादव 55 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, मौर्य, बिंद 18 हजार, वैश्य व मुस्लिम 17-17 हजार, चौहान 14 हजार।
मड़ियाहूं : अपना दल (एस) की लीना तिवारी विधायक।
समीकरण : पटेल लगभग 55 हजार, ब्राह्मण व यादव 45-45 हजार, अनुसूचित जातियां 40 हजार, क्षत्रिय व मुस्लिम 30-30 हजार, मौर्य 10 हजार।
जफराबाद : बीजेपी के हरेंद्र प्रसाद सिंह विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 68 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, यादव 42 हजार, क्षत्रिय 37 हजार, पटेल 34 हजार, मुस्लिम 26 हजार, बिंद 25 हजार, राजभर 21 हजार, मौर्य 16 हजार, वैश्य व पाल 13-13 हजार।
मुंगरा बादशाहपुर : बसपा से सुषमा पटेल विधायक।
समीकरण : ब्राह्मण लगभग 80 हजार, अनुसूचित जातियां 65 हजार, पटेल 60 हजार, यादव 40 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, वैश्य 26 हजार, मुस्लिम 20 हजार, चौहान 15 हजार।
मल्हनी : 2020 में हुए मध्यावधि चुनाव में सपा के लकी यादव विधायक।
समीकरण : यादव लगभग 90 हजार, अनुसूचित जातियां 60 हजार, क्षत्रिय 45 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, क्षत्रिय 45 हजार, मुस्लिम 24 हजार, वैश्य व मौर्य 10-10 हजार।
केराकत : बीजेपी के दिनेश चौधरी विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 1 लाख, यादव 50 हजार, क्षत्रिय 36 हजार, बिंद 35 हजार, ब्राह्मण व वैश्य 23-23 हजार, मुस्लिम 22 हजार, राजभर 19 हजार, मौर्य 18 हजार, चौहान 17 हजार, भूमिहार 13 हजार।
गाजीपुर 7 सीट
मुहम्मदाबाद : अलका राय बीजेपी से विधायक।
समीकरण : भूमिहार लगभग 1 लाख, अनुसूचित जाति 85 हजार, यादव 48 हजार, कुशवाहा 25 हजार, राजभर 7 हजार, क्षत्रिय 6 हजार।
सैदपुर (सुरक्षित) : सपा के सुभाष पासी जीते, बीजेपी में शामिल।
समीकरण : अनुसूचित जातियां 75 हजार, यादव 70 हजार, राजभर 33 हजार, मुस्लिम 26 हजार, कुशवाहा 22 हजार, क्षत्रिय 19 हजार, वैश्य 18 हजार, ब्राम्हण 17 हजार, चौहान 12 हजार, बिंद 11 हजार, पासी 10 हजार।
जमानिया : बीजेपी की सुनीता सिंह विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां व मुस्लिम लगभग 50-50 हजार, यादव व कुशवाहा 40-40 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, ब्राह्मण 25 हजार।
जंगीपुर : सपा के डॉ. वीरेंद्र यादव विधायक।
समीकरण : यादव लगभग 54 हजार, अनुसूचित जातियां 52 हजार, क्षत्रिय 47 हजार, वैश्य 20 हजार, राजभर 16 हजार, भूमिहार व मुस्लिम 12-12 हजार।
जखनिया : सुभासपा के त्रिवेणी राम विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 91 हजार, यादव 68 हजार, राजभर 48 हजार, चौहान 36 हजार, कुशवाहा 31 हजार, वैश्य 22 हजार, मुस्लिम 18 हजार, क्षत्रिय 16 हजार, ब्राह्मण 14 हजार।
गाजीपुर सदर : बीजेपी की डॉ. संगीता बलवंत विधायक।
समीकरण : बिंद 38 हजार, वैश्य 37 हजार, यादव 35 हजार, मुस्लिम व अनुसूचित जातियां 32-32 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, कुशवाहा व कायस्थ 23-23 हजार, भूमिहार 18 हजार, ब्राह्मण 17 हजार।
जहूराबाद : सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 75 हजार, राजभर 66 हजार, यादव 43 हजार, चौहान 33 हजार, मुस्लिम 27 हजार, राजपूत 22 हजार, वैश्य 15 हजार, ब्राह्मण 14 हजार, भूमिहार 11 हजार, कुशवाहा 10 हजार।
चंदौली सीट-4
मुगलसराय : बीजेपी की साधना सिंह विधायक।
समीकरण : ओबीसी व मुस्लिम लगभग 80-80 हजार, अनुसूचित जातियां 60 हजार, ब्राह्मण 35 हजार, क्षत्रिय 32 हजार व वैश्य 22 हजार।
सकलडीहा : सपा के प्रभुनारायण यादव विधायक।
समीकरण : यादव लगभग 72 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, राजभर 31 हजार, ब्राह्मण 27 हजार, क्षत्रिय 18 हजार, चौहान 17 हजार, वैश्य 12 हजार।
सैयदराजा : बीजेपी के सुशील सिंह विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 65 हजार, क्षत्रिय 40 हजार, बिंद 35 हजार, मुस्लिम 27 हजार, ब्राह्मण, वैश्य व यादव 25-25 हजार, कुशवाहा 20 हजार, राजभर व निषाद 12-12 हजार।
चकिया (सु.) : बीजेपी के शारदा प्रसाद विधायक।
समीकरण : अनुसूचित जातियां लगभग 68 हजार, यादव 52 हजार, मुस्लिम 32 हजार, ब्राह्मण 30 हजार, कुशवाहा 28 हजार, वनवासी व वैश्य 25-25 हजार।
इस के बाद जो तस्वीर निकल कर सामने आती है, वो ये है कि सत्ताधारी बीजेपी को यहां सपा को बढ़त बनाने से रोकने में काफी पसीना बहाना होगा। जबकि अखिलेश यादव के नेत्रत्व में सपा को सिर्फ मतदाता को एक अच्छा प्रत्याशी देना है, और बाकी का काम मतदाता कर देंगे। वहीं बसपा और काँग्रेस सिर्फ चुनावी दंगल देखने वाले हैं।
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