मनोहर पारिकर को याद कर भावुक हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को गोवा पहुंचे। गोवा मुक्ति दिवस के अवसर पर उन्होंने संशोधित फोर्ट अगुआड़ा जेल संग्रहालय, गोवा मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, न्यू साउथ गोवा जिला अस्पताल, मोपा हवाई अड्डे पर विमानन कौशल विकास केंद्र और डावरलिम-नावेलिम, मडगांव में गैस इंसुलेटेड उप केंद्र का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) रविवार को गोवा पहुंचे। गोवा मुक्ति दिवस के अवसर पर उन्होंने संशोधित फोर्ट अगुआड़ा जेल संग्रहालय, गोवा मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, न्यू साउथ गोवा जिला अस्पताल, मोपा हवाई अड्डे पर विमानन कौशल विकास केंद्र और डावरलिम-नावेलिम, मडगांव में गैस इंसुलेटेड उप केंद्र का उद्घाटन किया। गोवा मुक्ति दिवस हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन, भारतीय सशस्त्र बलों ने 1961 में तटीय राज्य को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया था।

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पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल कुछ और जीते होते, तो गोवा पुर्तगाली शासन से पहले स्वतंत्र हो जाता। 15 दिसंबर 1950 को नेहरू कैबिनेट में उप प्रधान मंत्री पटेल का निधन हो गया। उन्हें तत्कालीन निज़ाम के शासन से महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र को मुक्त कराने का श्रेय दिया जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को याद किया। उन्होंने कहा कि पर्रिकर ने न केवल गोवा को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि इसकी क्षमता को भी बढ़ाया। गोवा के लोग इतने ईमानदार, प्रतिभाशाली और मेहनती हैं, देश मनोहरजी में गोवा का चरित्र देखता था।

भारतीय जड़ों को नही भूला है भारत

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि अमृत महोत्सव में देश ने हर नागरिक से कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया है। गोवा मुक्ति संग्राम इस मंत्र का एक आदर्श उदाहरण है। अभी मैं आजाद मैदान में शहीद स्मारक देख रहा था। यह चार भुजाओं वाली आकृति के आकार की है। यह इस बात का प्रतीक है कि कैसे गोवा की मुक्ति के लिए देश के कोने-कोने से हाथ जोड़े गए। गोवा पुर्तगाली शासन के अधीन आ गया जबकि मुगल साम्राज्य देश के दूसरे सबसे बड़े हिस्से में था। तब से लेकर अब तक सत्ता में कितनी उथल-पुथल हो चुकी है? लेकिन समय और सत्ता की उथल-पुथल के बाद भी गोवा अपनी भारतीय जड़ों को नहीं भूला और न ही भारत गोवा को भूला। गोवा की मुक्ति की लड़ाई एक ऐसी शाश्वत लौ है, जो आज भी जल रही है।

गोवा की आजादी के लिए लोगो ने चुना संघर्ष व बलिदान का रास्ता

उन्होंने कहा कि गोवा से पहले देश आजाद हुआ था। देश के अधिकांश लोगों को उनके अधिकार मिले। उसके पास अपने सपनों को पूरा करने का समय था। उसके पास सत्ता के लिए लड़ने का विकल्प था। उन्हें पद मिल सकता था, लेकिन उन्होंने सभी सेनानियों को त्याग दिया और गोवा की आजादी के लिए संघर्ष और बलिदान का रास्ता चुना। गोवा के लोगों ने मुक्ति और आत्मनिर्णय के आंदोलन को कभी नहीं रोका है। उन्होंने भारत के इतिहास में स्वतंत्रता की लौ को लंबे समय तक जलाए रखा। भारत केवल एक राजनीतिक शक्ति नहीं है। भारत एक विचार है, एक परिवार है, मानवता और उसके हितों का रक्षक है। भारत एक ऐसा देश है जहां राष्ट्र सर्वोपरि है। जहां एक मंत्र, देश पहले। एक ही संकल्प है – एक भारत, श्रेष्ठ भारत।

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