वकीलों पर दर्ज मुकदमों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, कहा – वकालत के पेशे को बदनाम नहीं होने देंगे

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा है कि एक वकील एक अदालत का अधिकारी होता है और कुछ कलंकित वकीलों के कारण व्यवसाय को कलंकित नहीं किया जा सकता है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (High Court) की लखनऊ पीठ ने कहा है कि एक वकील एक अदालत का अधिकारी होता है और कुछ कलंकित वकीलों के कारण व्यवसाय को कलंकित नहीं किया जा सकता है। वकीलों के खिलाफ लंबित मामलों को देखने के बाद अदालत ने यह टिप्पणी की। अदालत (High Court) ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वकीलों के कुछ संगठित समूह असामाजिक गतिविधियों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैकमेलिंग में शामिल हैं।

लखनऊ पीठ ने किया सख्त कानून

ऐसी ‘ब्लैक शीप’ को कानून के धंधे को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अदालत ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त को शहर में वकीलों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करने को भी कहा? अगर उनके खिलाफ किसी दबाव में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई है तो उसे दोबारा खोलकर जांच को आगे बढ़ाया जाए।

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उच्च न्यायालय ने लखनऊ के जिला न्यायाधीशों से वकीलों के खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या और उनकी स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है। अगली सुनवाई 13 दिसंबर को तय की गई है। न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने स्थानीय अधिवक्ता पीयूष श्रीवास्तव और अन्य की ओर से दायर एक याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता और उसके सहयोगियों पर आरोप है कि निचली अदालत में मामले का प्रतिनिधित्व करते हुए कुछ वकीलों ने उन्हें पीटा था।

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