आजमगढ़ जिले के मल्लूपुर गांव निवासी 1995 बैच के आईपीएस इंद्रदेव शुक्ला बने गोवा के डीजीपी

भारतीय प्रशासनिक सेवा में देश के कई राज्यों में उच्च पदों पर आसीन रहे इंद्रदेव शुक्ला को पुलिस महानिदेशक बनाए जाने से परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है।

आजमगढ़। भारतीय प्रशासनिक सेवा में देश के कई राज्यों में उच्च पदों पर आसीन रहे इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  को पुलिस महानिदेशक बनाए जाने से परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है। वहीं, इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  ने अपने निजी जीवन के नैतिक मूल्यों के आधार पर आने वाली युवा पीढ़ी को एक बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग अभाव में निराश न हो। नैतिक मूल्यों को जीवन में आधार बनाकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्न करें तो जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में कामयाब हो सकता है। आजमगढ़ (Azamgarh) के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के मल्लूपुर गांव निवासी इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  की प्रारंभिक शिक्षा गांव में स्थित उस प्राइमरी स्कूल में हुई जो उस जमाने में मंडई में चलता था। इसके बाद चेवता के पास स्थित गढ़ कौशिक जूनियर हाई स्कूल से जूनियर हाई स्कूल तक शिक्षा हासिल की।

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा उनकी कप्तानगंज बाजार स्थित तेरही के इंटर कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रुख किया, जहां सर सुंदरलाल छात्रावास मिला और उनको विज्ञान वर्ग में प्रवेश मिला। पदों पर आसीन रहे इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  को पुलिस महानिदेशक बनाए जाने से परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव में जश्न का माहौल है। वहीं, इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  ने अपने निजी जीवन के नैतिक मूल्यों के आधार पर आने वाली युवा पीढ़ी को एक बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग अभाव में निराश न हो। नैतिक मूल्यों को जीवन में आधार बनाकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्न करें तो जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में कामयाब हो सकता है।

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उन्होंने बीएससी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। इसके बाद उन्होंने एमएससी फिजिक्स स्पेसलाइजेशन इन इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ डिग्री भी हासिल की। इसके बाद सिविल सेवा की परीक्षा में सम्मिलित हुए। पहली बार की परीक्षा में प्री एग्जाम क्वालीफाई किया, लेकिन दूसरी बार की परीक्षा में पास नहीं हुए। बावजूद इसके उन्होंने अपना हौसला बनाए रखा। 1995 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में उनका चयन हो गया और गोवा पुलिस सर्विस जॉइन की। गोवा में एसडीपीओ रहे और गोवा के एसपी भी रहे। इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  की एक ईमानदार और तेजतर्रार ऑफिसर के रूप में पहचान रही हैं।

उन्होंने दिल्ली में एंटी करप्शन ब्यूरो के डीसीपी रहते हुए आम लोगों को स्टिंग ऑपरेशन करना सिखाया। इस तरह उन्होंने करप्शन करने वालों पर अंकुश लगाया और भ्रष्ट लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। इंद्रदेव शुक्ला (Indradev Shukla)  ड्यूटी के प्रति जितने सख्त हैं, उतने ही अपने स्टॉफ के सुख-दुख में शामिल भी रहते हैं। ये मिजोरम में एसपी, पांडुचेरी में डीआईजी और आईजी दोनों रहे। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में भी आईजी लॉ एंड आर्डर की कमान संभाली। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) में डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड क्राइम भी रहे। इसके अलावा जॉइन डायरेक्टर सीसीटीएनएस क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम रहे। दिल्ली पुलिस में सिक्योरिटी में बतौर ज्वाइंट सीपी तैनात रहे। वर्तमान में दिल्ली पुलिस के प्रोटेक्टिव सेक्शन डिवीजन में बतौर स्पेशल सीपी तैनात थे। गृह मंत्रालय ने गोवा राज्य की कमान बतौर पुलिस महानिदेशक के रूप में सौंपी है। इस राज्य में उन्हें कार्य करने का पुराना तजुर्बा भी रहा है। माना जा रहा है कि अपने अनुभव के आधार पर यहां भी कानून व्यवस्था को और बेहतर करेंगे और इस राज्य को एक बेहतर पुलिसिंग का संदेश देंगे। आईडी शुक्ला के दो भाई प्रमोद शुक्ला सीनियर पीसीएस एमपी, सियाराम शुक्ला एसोसिएट प्रोफेसर लॉ और बहन वंदना द्विवेदी भी प्रोफेसर हैं। पिता मुसाफिर शुक्ला तथा माता शंकरवाती देवी घर पर रहती हैं। पिता बीडीओ पद से सेवानिवृत्त हैं। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि नैतिक मूल्य का आधार प्राइमरी शिक्षा ही है। अब तो बहुत अच्छी तकनीक आ गई है।

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