एटा: दीवाली पर अपना घर रोशन करने के लिए बना रहे मिट्टी के दिये

मिट्टी के दीपकों से दीवाली पर लोगों घर होंगे रोशन, दीवाली पर अपना घर रोशन करने के लिए बना रहे मिट्टी के दिये

वर्षों से भारत देश के अंदर दिवाली पर्व मिट्टी के दीयों से घर रोशन करके मनाया जाता रहा है। दिवाली आते ही माटी कला के कारीगरों के घरों में भी खुशी का माहौल देखा जाता रहा है लेकिन आज के मॉडर्न जमाने में घरों को रोशन करने के लिए चमचमाती चाइनीज लाइटों मोमबत्तियां और तकनीकी का प्रयोग कर बनाए गए दियो ने ले ली है।

बरसों पुरानी प्रथा को माटी कला के कारीगर कुम्हार आज भी जीवित किये हुए हैं। दिवाली पर आते ही इनके भी घरों में खुशहाली का माहौल होता है क्योंकि मिट्टी के दीए बनाकर बिक्री करने पर जो पैसे उनको मिलते हैं उनसे इन कारीगरों के घरों मैं दिवाली पर्व मनाया जाता और घर रोशन हो पाते हैं।

इन कारीगरों का यह पुश्तैनी पेशा है जोकि दिवाली पर्व पर दिए बनाकर विक्री कर देते तब जाकर इन्हें घरों के चूल्हे जलते है और दीवाली की खुशी और पर्व मना पाते हैं। लेकिन आज के इस दौर में। माटी कला के कारीगरों के रोजी-रोटी पर संकट आ गया है क्योंकि इनकी जगह तकनीकी मशीनों ने ले ली है तकनीकी का प्रयोग कर बनाए जा रहे दीपक बाजारों में बिक रहे हैं।

कारीगर राम भरोसे का कहना है कि उनका यह पुश्तैनी पेशा है मिट्टी के दीए बनाकर हर बार दीपावली पर वह भेजते हैं लोगों के घर दीपावली पर पर रोशन होते हैं तब जाकर उनका घर चलता है 200 से 300 मिट्टी के दिए वह प्रतिदिन बना पाते हैं और उनकी बिक्री कर देते हैं।

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