नसबंदी को लेकर मध्यप्रदेश में जारी हुए इस फरमान से मचा हड़कंप, बीजेपी ने दिलाई संजय गांधी के दौर की याद

मध्यप्रदेश में नसबंदी को लेकर जारी हुए एक फरमान से हड़कंप मच गया है। दरअसल पुरुषों की नसबंदी के घटते आंकड़ों को लेकर एनआरएचएम बेहद चिंतित है। मध्यप्रदेश एनआरएचएम ने इस सिलसिले में सभी जिलों को सर्कुलर जारी किया है। एनआरएचएम ने सभी कलेक्टर, कमिश्नर और सीएमएचओ को सर्कुलर जारी किया है।

इस सर्कुलर में मध्यप्रदेश में नसबंदी की स्थिति को लेकर खासी चिंता जताई गई है। इसमें लिखा गया है कि इच्छुक पुरुषों की नसबंदी जल्दी सुनिश्चित की जाए। इसमें ज़िम्मेदारी तय करने की बात भी है। सर्कुलर में लिखा है कि एमपीडब्ल्यू यानि मल्टी परपस वर्कर और पुरुष सुपरवाइजर की इस सिलसिले में जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए।

इसमें टारगेट तय करते हुए लिखा गया है कि न्यूनतम 5 से 10 इच्छुक पुरुषों की नसबंदी मोबिलाइज की जाए। सर्कुलर में चेतावनी भी है। सर्कुलर कहता है कि जिन एमपीडब्ल्यू यानि मल्टी पर्पज वर्कर ने बीते साल (2019-20) में एक भी नसबंदी नहीं मोबिलाइज की है, उनका नो वर्क नो पे के आधार पर वेतन रोक दिया जाए।

यही नहीं, सुधार नहीं पाए जाने पर उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की भी सिफारिश एनआरएचएम को भेजी जाए। यह निर्देश मध्यप्रदेश एनआरएचएम की मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने निर्देश जारी किए हैं। बीजेपी इस पर हमलावर हो गयी है। बीजेपी का आरोप है कि ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश में नसबंदी को लेकर आपातकाल लगा दिया है। बीजेपी ने इसे संजय गांधी से जोड़ा है। बीजेपी के मुताबिक ये संजय गांधी की चौकड़ी है जो मनमर्जी चला रही है।

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