युवाओं को तंबाकू की लत से बचाने के लिए कानूनी ढांचा मजबूत कीजिए – एनसीपीसीआर चेयरमैन
खुदरा विक्रेताओं, विशेषज्ञों ने इस आवश्यकताओं को रेखांकित किया
लखनऊ : नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (बाल अधिकारों की रक्षा के राष्ट्रीय आयोग) के चेयरमैन, खुदरा विक्रेताओं के संगठन के प्रतिनिधि, वैश्विक और स्थानीय विशेषज्ञों ने भारत सरकार से अपील की है कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून को मजबूत किया जाए ताकि युवाओं को तंबाकू का सेवन शुरू करने से बचाया जा सके। इन सभी विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि तंबाकू की बिक्री के लिए वैधानिक आयु बढ़ाकर 21 साल कर दी जाए, तंबाकू के प्रचार और संवर्धन पर व्यापक प्रतिबंध लगाया जाए तथा सिगरेट/बीड़ी की खुली बिक्री प्रतिबंधित की जाए तो यह बच्चों और युवाओं को कम उम्र में तंबाकू का उपयोग शुरू करने से रोकने में काफी सहायक होगा।
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण (कोटपा) का विनियमन अधिनियम, 2003 युवाओं द्वारा तंबाकू के सेवन को प्रभावी ढंग से रोकने के काम करने में बाधा बन रहा है। यह अधिनियम 2003 में पेश किया गया था ताकि भारत में तंबाकू उत्पादों के ज्यादातर रूपों के विज्ञापन, बिक्री और उपलब्धता का नियमन किया जा सके। यह अध्यादेश सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन प्रतिबंधित करता है लेकिन बिक्री की जगह पर उनके विज्ञान को नियंत्रित नहीं करता है। एक सिगरेट या बीड़ी की बिक्री की भी अनुमति है। इससे बच्चों के लिए तंबाकू उत्पादों को खरीदना आसान है और इस तरह ये उत्पाद उनकी पहुंच में हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडवीय द्वारा हाल में जारी ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के मुताबिक भारत में 13-15 साल के छात्रों में करीब 20 प्रतिशत (पांच में एक हिस्सा) तंबाकू उत्पादों का उपयोग कर रहा है। छात्रों के देशव्यापी सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ कि 38 प्रतिशत सिगरेट, 47 प्रतिशत बीड़ी और 52 प्रतिशत बिना धुंए वाले तंबाकू के उपयोगकर्ता यह आदत अपने 10वें जन्म दिन से पहले अपना लेते हैं।
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के प्रेसिडेंट श्री प्रियांक कानूनगो ने कहा, “वैज्ञानिक तौर पर यह स्थापित है कि अगर कोई व्यक्ति 21 साल और उससे ज्यादा समय तक तंबाकू से दूर रहे तो बहुत संभावना है कि वह अपने जीवन में बाकी समय तंबाकू मुक्त रहेगा/रहेगी। कई देशों ने अब तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए वैधानिक आयु बढ़ाकर 21 साल कर दी है। और एक सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित कर दी है ताकि युवाओं के लिए इनकी आसान उपलब्धता नियंत्रित की जा सके। कोटपा 2003 में संशोधन करके तंबाकू की बिक्री के लिए न्यूनतम कानूनी आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने और खुली / एक सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित करना युवाओं को तंबाकू से बचाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें तंबाकू के उपयोग की शुरुआत कम करने और नियमित रूप से धूम्रपान की ओर बढ़ने की संभावना कम है।”
भिन्न देशों में इस बात को तेजी से महसूस किया जा रहा है कि दीर्घ अवधि के तंबाकू उपयोगकर्ता बनने वाले तकरीबन सभी लोग तंबाकू का उपयोग तब शुरू करते हैं जब वे किशोर वय के होते हैं। लागू किए जाने से पहले और बाद के आंकड़ों से पता चलता है कि तंबाकू का उपयोग शुरू करने की आयु बढ़ाकर 21 साल करने से युवाओं के धूम्रपान शुरू करने की संभावना कम है और इससे मौतें कम होंगी। यही नहीं बीमारियां तथा स्वास्थ्य की देखभाल पर होने वाले खर्च भी कम होंगे। कम से कम 14 देश (ईथोपिया, गुआम, होंडुरास, जापान, कुवैत, मंगोलिया, पलाऊ, फिलीपीन्स, समोआ, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, यूगांडा और अमेरिका) ने तंबाकू उत्पाद खरीदने के लिए न्यूनतम आयु बढ़ाकर 18 साल कर दी है। कम से कम 86 देशों ने एक सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित कर दी है ताकि युवा इन्हें आसानी से न खरीद सकें।
उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट श्री संजय गुप्ता ने कहा, हम खुदरा विक्रेताओं को संवेदनशील बना रहे हैं कि बच्चों को तंबाकू उत्पाद न बेचें। भारत में तंबाकू और इसके उत्पादों पर पूरी तरह प्रतिबंध होना चाहिए और इससे अहम परिवर्तन आएगा। हम सरकार से अपील करते हैं कि कोटपा 2003 में संशोधन किया जाए और तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल की जाए। इससे हमारे बच्चों और युवाओं की रक्षा होगी और वे तंबाकू की बुराइयों के शिकार नहीं होंगे।
भारत में तंबाकू का उपयोग करने वालों की संख्या दुनिया में दूसरे नंबर पर है और यह संख्या 268 मिलियन है। इनमें से 13 लाख हर साल तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मर जाते हैं। 10 लाख मौतें धूम्रपान के कारण होती है जबकि दो लाख मौतें दूसरों के सिगरेट बीड़ी का धुंआ नाक में जाने (सेकेंड हैंड स्मोक एक्सपोजर) से होती है। इसी तरह, कोई 35,000 मौतें बिना धुंए वाले तंबाकू के उपयोग से होती हैं। भारत में कैंसर के सभी मामलों में करीब 27% तंबाकू उपयोग के कारण होते हैं। तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों की कुल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 1.8% है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, तंबाकू का उपयोग चाहे वह धूम्रपान हो या खैनी-पान मसाला आदि के रूप में, का संबंध कोविड-19 की मौतों से है.
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