वाराणसी : प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में कहा की पीड़ित परिवारों को पैसा, मुआवजा नहीं “न्याय चाहिए”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा कि उत्तर प्रदेश आओगे तो सुधार देंगे, क्या यह भाषा शोभा देती है

आज नवरात्रि का चौथा दिन मैं व्रत हूं। तो मैं मां की स्तुति से शुरू करना चाहती हूँ। श्लोक से सम्बोधन की शुरुआत :
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्था नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः
सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ए त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते

हमें इंसाफ चाहिए

मेरे साथ कहिए जय माता दी जय माता दी जय माता दी। 2 साल से मैं यहां काम कर रहे हूँ। यहां की जो सच्चाई मैंने देखी, आपसे बयां कर रही हूँ। शुरू में सबसे पहले सोनभद्र में घटना हुई ,उम्भा में पुलिस प्रशासन की सहमति से कुछ लोगों ने जमीन छीनने की कोशिश कर रहे थे |जीप से आए और गोली चलाई 13 लोगों को शहीद किया। उम्भा में नरसंहार हुआ जब मैं उनसे मिलने गई तो मेरे मन में एक बात बहुत स्पष्ट लगी जिस परिवार के पास में जा रही थी वह कह रहे थे हमें मुआवजा नहीं चाहिए हमें इंसाफ चाहिए।

न्याय की उम्मीद नहीं

उसके बाद कोरोना हुआ ,वही हुआ और सरकार मदद के बजाय आक्रामक हो गयी, जो अस्पताल कह रहा था हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है सरकार उस पर हमले कर रही थी। सभी को लग रहा था कि न्याय की उम्मीद नहीं है। उसके बाद हाथरस की घटना हुई परिवार को न्याय नहीं मिला। पुलिस ने परिवार को बिना दिए लाश जला दी। उनके घर के लोगों ने भी हमें यही कहा दीदी हमें न्याय चाहिए।

सरकार में कोई नहीं दिख रहा

अब लखीमपुर में भी यही हुआ पिछले हफ्ते से हम यही देख रहे हैं। देश के केंद्रीय राज्य मंत्री अपनी गाड़ी के नीचे 6 किसानों को निर्मलता से कुचल दिया। सब परिवार 6 के 6 परिवार यह कहते हैं, हमें पैसे नहीं चाहिए हमें मुआवजा नहीं चाहिए हमें न्याय चाहिए। लेकिन हमें न्याय दिलवाने वाला इस सरकार में कोई नहीं दिख रहा है। आपने देखा कि मेरी गिरफ्तारी की गई पूरी पुलिस कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए लग गई न्याय दिलवाने के बजाए पुलिस मंत्री और उनके परिवार को बचाने में लग गई।

यह जिस आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह आजादी किसने दी थी आजादी किसानों ने दी जिसका यह उत्सव मना रहे हैं। वह किसान के बेटे ने सीमा पर देश को सींचा। देश के अंदर किसानों ने देश को अन्न दिया। यह देश एक आस्था है एक उम्मीद है इसलिए न्याय की उम्मीद पर इस देश को आजादी मिली। जब महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए गए तो उनके दिल में ख्याल था कि मेरी जनता को मेरे देश में , मेरे किसानों को मेरे देश में है।

न्याय मिलना चाहिए

मेरे देश की महिलाओं को मेरे देश में न्याय मिलना चाहिए। लखीमपुर के पीड़ितों से में मिली नछत्तर सिंह के घर गई उन्होंने कहा उनका बेटा एसएसबी में भर्ती हुआ है | सभी के घर में सभी के घर वालों ने यही कहा कि हमें न्याय चाहिए लेकिन सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है हत्यारों को बचाया जा रहा है।

तीन काले कानून

देश के किसानों ने 9-10 महीनों से एक आंदोलन जारी रखा है। लगातार आंदोलन चल रहा है 600 से ज्यादा किसान शहीद हुए हैं।
ये आंदोलन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह जानते हैं यह सरकार के बनाए जो तीन काले कानून हैं। उनके खेत, उनकी आमदनी, उनके फसल सब उद्योगपतियों के कब्जे में जाने वाली है। जो सेब पहले ₹88 किलो किसान बेच रहे थे अब वह ₹70 किलो बेचा जा रहा है। क्योंकि उनके फैंस की फसल की कीमत खरबपति तय कर रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसानों को प्रधानमंत्री ने आंदोलन जी भी कहा | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें कहा कि उत्तर प्रदेश आओगे तो सुधार देंगे यह भाषा क्या शोभा देती है। प्रधानमंत्री जी देश देश घूम रहे हैं लेकिन उनको किसानों से मिलने का फुर्सत नहीं है।

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