लखनऊ : नगर निगम का बड़ा फरमान, धार्मिक स्थल के आस- पास मांस बिक्री पर लगी रोक

मथुरा की तर्ज पर अब लखनऊ नगर निगम कार्यकारिणी ने नियम पास किया है कि धार्मिक स्थल के 100 मीटर के दायरे में कोई मांस- मछली की दुकान नहीं होगी।

उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले नगर निगम पर भी चुनावी रंग चढ़ता नजर आ रहा है।  मथुरा की तर्ज पर अब लखनऊ नगर निगम कार्यकारिणी ने नियम पास किया है कि धार्मिक स्थल के 100 मीटर के दायरे में कोई मांस- मछली की दुकान नहीं होगी। मजे की बात यह है कि इसमें कच्चा माल से लेकर रेस्त्रां और होटल चलाने वालों पर भी रोक लगाने कि बात है। अभी कुछ दिन पहले प्रदेश सरकार ने मथुरा और वृंदावन को लेकर यह आदेश जारी किया था।

लखनऊ नगर निगम की बैठक में कई वार्ड के नाम बदलने से लेकर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को दुकानें परमानेंट आवंटित करने तक, कई फैसले लिए गए. जो सबसे बड़ा फैसला था वह ई- रिक्शा, ऑटो, बस, तांगा, ट्रॉली , मिनी बस समेत हर व्यावसायिक वाहन को अब नगर निगम से लाइसेंस लेना होगा। कार्यकारिणी के दौरान सफाई कर्मचारियों को मोबाइल देने के मामले में काफी बहस भी हुई। मेयर ने सभी को मोबाइल देने को कहा, जिसके बजट को लेकर सवाल खड़े होने लगे। करीब 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के घाटे में चल रहे निगम प्रशासन के पास पुराने काम के भुगतान के पैसे नहीं है।

इसके साथ ही लखनऊ नगर निगम ने आठ वार्ड के नाम बदल दिए हैं। इन वार्ड के नाम बदलकर भगवान परशुराम, महर्षि और केशव नगर जैसे नाम रख दिए गए हैं। इसका प्रस्ताव नगर निगम कार्यकारिणी समिति की सामान्य बैठक में पास किया गया। जानकारी के मुताबिक लखनऊ नगर निगम की कार्यकारिणी समिति की सामान्य बैठक 1 अक्टूबर को हुई। इस बैठक में मेयर संयुक्ता भटिया के साथ ही नगर निगम के सभी कर्मचारी मौजूद रहे।

आपको बता दें कि लखनऊ नगर निगम सामान्य कार्यकारिणी के इस फैसले को विधानसभा चुनाव से पहले नाम बदलने कि राजनीति करार दिया जा रहा है। दूसरी तरफ मेयर संयुक्ता भाटिया ने इस संबंध में कहा कि नाम बदलने का प्रस्ताव सभासद कि ओर से आया था। उन्होंने कहा कि पुराना नाम बदलने से संबंधित प्रस्ताव पारित हो गया है।  मेयर ने कहा कि अब नाम बदलने को लेकर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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