बलिया : मानवधिकार आयोग की सदस्या ने माना कि महिला उत्पीड़न के झुठे मामले दर्ज होते हैं
साथ ही कहा जबतक बेटा बेटी में भेदभाव बढ़ता जाएगा तब तक महिला सशक्तिकरण की बातें बेमानी है
अपराधो की रोकथाम के लिए वातावरण और सिस्टम मैं भारी बदलाव लाने के बाद ही महिला सशक्तिकरण लाया जा सकता है। जब तक अभिभावक लड़का लड़की के साथ बैठकर सेक्स संबंधी बातों को खुलकर कहने का अवसर नहीं प्रदान करेंगे तब तक कानून बना देने से महिला सशक्तिकरण नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि बलात्कार या दुष्कर्म की घटना के पीछे एफ आई आर दर्ज कराने तक पूरा सिस्टम लगता है। जबकि इन्हें घटना की वास्तविकता की जांच करने का अवसर और आधुनिक संसाधन होने के बावजूद वह अपनी औपचारिकताएं पूरी कर किसी तरह घटना को सामान्य रूप से दर्ज कर लेते हैं।
दुष्कर्म की घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज करने से पूर्व बारीकी से प्रत्येक बिंदु पर सोच विचार और सब सूक्ष्म जांच के उपरांत ही घटना को दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण स्वरूप तेलंगाना की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 12 वर्ष की लड़की दुष्कर्म का एफ आई आर अकेले दर्ज नहीं करा सकती इसके पीछे पूरा सिस्टम हुआ करता है।
उन्होंने कहा कि पैदा होने से यह कर वयस्क होने तक बेटा बेटी में जब तक भेदभाव बढ़ता जाएगा तब तक महिला सशक्तिकरण की बातें बेमानी है।
ज्योतिका कालरा – सदस्य राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
रिपोर्टर : हुसैन ज़ैदी
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