तालिबान अब भी एक आतंकी संगठन, नहीं किया दोहा समझौते का सम्मान, शीर्ष अमेरिकी जनरल ने तालिबान को लेकर कही ये बात
शीर्ष अमेरिकी जनरल मार्क मिले ने तालिबान पर नजर रखने और अफगानिस्तान काबिज तालिबान में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों की जटिलताओं पर बैठक को किया सम्बोधित
अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान के बारे में शीर्ष अमेरिकी सैन्य जनरल मार्क मिले ने मंगलवार को सांसदों को बताया कि संगठन ने अल कायदा को नहीं छोड़ा है। तालिबान 2020 में हुए दोहा समझौते का सम्मान करने में विफल रहा है।
तालिबान ने नहीं छोड़ा है अल कायदा का साथ
संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि, “दोहा समझौते के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान की कुछ शर्तों को पूरा करने पर अपनी सेना को वापस लेना शुरू कर देगा, जिससे तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच एक राजनीतिक समझौता हो जाएगा।” लेकिन चूँकि तालिबान ने अभी तक आतंकी संगठन अल कायदा का साथ नहीं छोड़ा है अतः इस राजनीतिक समझौते पर आगे विचार करने उचित नहीं लगता। दोहा समझौते के तहत तालिबान पर सात शर्तें और संयुक्त राज्य अमेरिका पर आठ शर्तें लागू थीं।
उन्होंने सीनेटर्स को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि “यद्यपि कि तालिबान ने अमेरिकी बलों पर हमला नहीं किया, जो कि शर्तों में से एक था, तथपि यह भी उल्लेखनीय है कि किसी भी अन्य शर्त का पूरी तरह से सम्मान भी तालिबान ने नहीं किया। और, शायद अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तालिबान ने कभी भी अल-कायदा से अपने संबंध नहीं तोड़े है।”
‘शर्तों पर खत्म नहीं हुआ युद्ध’
श्री मिले ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में युद्ध उन शर्तों पर समाप्त नहीं हुआ जो संयुक्त राज्य अमेरिका चाहता था, तालिबान के साथ अब काबुल में सत्ता में है।
“और हमें याद रखना चाहिए कि तालिबान एक आतंकवादी संगठन है अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के बाद भी इसमें आतंक फैलाना नहीं छोड़ा है। इसने अभी भी अल-कायदा के साथ संबंध नहीं तोड़े हैं। मुझे कोई भ्रम नहीं है कि हम किसके साथ काम कर रहे हैं। यह देखा जाना बाकी है कि तालिबान सत्ता को मजबूत कर पाता है या नहीं। इस कारण कीभी अनदेखी नहीं की जा सकती कि देश में गृहयुद्ध हो जाए और स्वयं तालिबान कई हिस्सों में टूटकर समाप्त हो जाए। ”
उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा कि “हमें संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके लोगों को तालिबान प्रायोजित आतंकवादी हमलों से बचाना जारी रखना चाहिए। इस बात की बहुत संभावना है कि अमेरिका पर हमला करने की आकांक्षाओं के साथ एक पुनर्गठित अल-कायदा या आईएसआईएस आगे भी आतंकी कार्यवाही को अंजाम दे सकता है।”
जनरल मिले ने कहा कि ऐसा “मिशन अब बहुत कठिन होगा लेकिन असंभव नहीं”।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अल-कायदा अफगानिस्तान में सक्रिय है और उनके पास पुनर्गठन की आकांक्षाएं हैं। “और अगर वे सैन्य क्षमता विकसित करते हैं, तो मेरा मानना है कि उनके पास उन्ही के लोगों द्वारा इसका विरोध करने की अधिक संभावनाएं हैं। सैन्य क्षमता विकसित करने की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा समय नहीं है। मुझे विश्वास है कि अल-कायदा अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ युद्ध में है।
अफगानिस्तान से हटने पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे अमेरिका के लिए खुफिया, निगरानी, टोही और खोज-फिक्स कार्यों का संचालन करना बहुत कठिन हो जाएगा।
जनरल मिले ने इस दौरान आगे कहा कि “हम दुनिया में लगभग कहीं से भी हमला कर सकते हैं, लेकिन चुनौती को खोज करके उसे खत्म करना अधिक कठिन हो जाएगा। श्री मिले ने कहा कि ”हम अभी भी इस तरह की सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं। यह असंभव नहीं है, लेकिन तालिबान की सैन्य ताकत विकसित कर लेने पर यह और कठिन हो सकता है।”
ये भी पढ़ें- अमेरिका की ‘शत्रुतापूर्ण’ नीति की आलोचना करते हुए उत्तर कोरिया ने किया कुछ ऐसा काम
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :