कनाडा में आज डाले जाएंगे वोट, मुसीबत में पीएम जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी

कोरोना के संक्रमण दर को नियंत्रित करना और इसे जनसामान्य में फैलने से रोकने में मिली सफलता ही कनाडा चुनाव में प्रमुख मुद्दा रही

कनाडा में बहुमत के लिए किसी को भी 38 फीसदी पब्लिक वोट्स की जरूरत होती है ताकि संसद में बहुमत साबित कर सके। पीएम जस्टिन ट्रूडो ने तय समय सीमा से दो साल पहले ही चुनाव कराने की घोषणा कर दी है। कनाडा में सोमवार को जो चुनाव होने हैं उसमें 338 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। कनाडा में आज चुनाव होने वाले हैं और जनता आज 44वीं संसद के लिए वोट करेगी। इस बार चुनावों में लिबरल पार्टी के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भविष्‍य दांव पर लगा हुआ है। पीएम ट्रूडो का मुकाबला इस बार कंजर्वेटिव पार्टी के नेता एरिन ओ टूल के साथ है।

चुनाव का ऐलान किया

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने 15 अगस्त को कनाडा में मिड टर्म चुनाव का ऐलान किया था। गवर्नर जनरल से मीटिंग के बाद उन्होंने इसका ऐलान किया कि 20 सितंबर को कनाडा में चुनाव होंगे। चुनाव से पहले होने वाले सर्वे के मुताबिक जस्टिन की लिबरल पार्टी और विपक्ष की कंजर्वेटिव पार्टी, दोनों को ही अकेले बहुमत नहीं मिल रहा है तबतक जब तक वो एक दूसरे के साथ समर्थन न करें। चुनाव के दोनों उम्मीदवार पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है।

जस्टिन ने मिड टर्म चुनाव का ऐलान इस उम्मीद के साथ किया था कि कोरोना जैसी महामारी को हैन्डल करने में मिली सफलता के जरिए वो सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ वापस आ जाएंगे लेकिन जैसे-जैसे मतदान के दिन करीब आते गए वैसे-वैसे जस्टिन की उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा। चुनाव प्रचार के दौरान निरंतर प्रयासों के बाद भी जनता उनसे नाखुश दिखी।

ट्रूडो ने विपक्ष पर साधा निशाना

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वो कनाडा की जनता को ये कहते दिखे कि कनाडा को एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो की विज्ञान पर विश्वास करे और कोरोना जैसी महामारी से देश को बचा सके। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा की वो ये सब करने में असमर्थ रहेगी। उन्होंने ये भी कहा की ट्रूडो सरकार एक तरफ जहां कनाडा के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक कर रही है वहीं दूसरी तरफ कंजर्वेटिव पार्टी के कई उम्मीदवारों ने वैक्सीन भी नहीं लगवाई है।

इस बात पर पर्दा डालते हुए उन्होंने उम्मीदवारों के स्वास्थ्य की समस्या को वजह बताया। कनाडा की सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 27 मिलियन यानी 2.7 करोड़ लोग इस बार वोट डालेंगे। करीब 5.78 मिलियन बैलेट्स का प्रयोग एडवांस वोटिंग के लिए पहले ही हो चुका है। चुनावों से पहले हुए सर्वे में लिबरल और कंजरवेटिव दोनों में से किसी के पास भी बहुमत के लिए जनता का समर्थन नहीं है।

ट्रूडो ने जनता से कहा कि हमने आपका साथ दिया है अब आपकी बारी है आपके ये चुनने की बारी है की कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सफलता कैसे प्राप्त करें। लिबरल पार्टी की सरकार बहुमत हासिल करने की फिराक में है। ये पार्टी 2 साल पहले ही अल्पमत में आ गई थी और कोई भी बिल पास कराने के लिए विपक्ष पर निर्भर थी।

कनाडा में चुनाव के दौरान वहाँ कोरोना के डेल्टा वेरिएन्ट की एक और लहर देखने को मिल रही है। जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है उनके लिया ट्रूडो ने इसे चौथी लहर कहा है। वैसे तो ट्रूडो इतने भी मशहूर नहीं थे परंतु कोरोना महामारी के दौरान उनकी सरकार की कोशिश काबिले तारीफ़ रही और इसे बड़ी सफलता के रूप मे देखा जा रहा है।

कोरोना के बीच होने हैं चुनाव

कनाडा में डेल्टा वरिएन्ट की धीमी शुरुआत के बाद अब यहां के प्रत्येक नागरिक के लिए पर्याप्त वैक्सीन है। यहां 71 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। 82 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें कम से कम कोरोना की एक डोज दी जा चुकी है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद यहां की सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए करो़ड़ों खर्च किया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के प्रोफेसर रॉबर्ट बोथवेल ने कहा कि अगर चुनाव में ट्रुडो को बहुमत नहीं मिलता है तो पीएम पर उंगलिया उठनीं शुरू हो जाएंगी। ट्रुडो को बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया जाता है लेकिन ट्रुडो में वो है जो लिबरल पार्टी वाले चाहते हैं, इसलिए वो उनके पीछे तो जाएंगे लेकिन अगर वो हार जाते हैं तो लोग उनपर निशाना साधेंगे।

जस्टिन ट्रूडो कनाडा के इतिहास में दूसरे व्यक्ति थे जो की कम उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। 2015 में उन्हें पहली बार संसद में बहुमत के साथ चुना गया था। लिबरल की जीत ने कनाडा में 10 वर्षों से चली आ रही कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार का अंत किया था लेकिन घोटालों ने ट्रूडो की छवि को नुकसान पहुंचाया है। विपक्षी वामपंथी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने कहा कि ट्रूडो का महामारी के बीच चुनाव कराने का फैसला स्वार्थ से भरा है।

बता दें कि कनाडा के सबसे बड़े प्रांत ओंटारियो में लगातार चौथे दिन कोरोना के 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए ऐसे में जस्टिन ट्रूडो का ये चुनाव कराने का ऐलान वाकई अपने स्वार्थ के लिए किया गया है। ट्रूडो`को लगता है कि वो दोबारा बहुमत हासिल कर लेंगे। अब देखते हैं क्या होते हैं नतीजे और किसकी बनती है सरकार।

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