चाणक्य की इस नीति को जानकर दुश्मन के हमला करने से पहले ही सतर्क हो जायेंगे ! पढ़ें कैसे
कुछ छोटे और महत्वपूर्ण छोटे से बदलाव करके आप बन सकते है सबसे अलग और प्रभावशाली
आचार्य कौटिल्य को यूँ ही नहीं महान दार्शनिक कहा जाता है। उनके द्वारा दी गयी नीतियों को आज भी की लोग जानते और समझते हैं। उनकी एक नीति के अनुसार सफलता पा चुके व्यक्ति को हमेशा सतर्क और जागरूक रहना चाहिए। उनका यह भी मानना था की व्यक्ति को हमेशा समय के साथ खुद को निखारते रहना चाहिए।
स्वयं की ताकत में वृद्धि
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को निरंतर अपनी शक्तियों पर वृद्धि करते रहना चाहिए। न की अपने दुश्मन के कमजोर होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। इससे आपके शत्रु को आप पर हमला करने का कोई भी अवसर नहीं मिलेगा। जबकि आप अपने शत्रु से समय से और भी बलवान होते जाएंगे। जितना ही आप अपने आप को निखारेंगे उतना ही आपका अज्ञात व ज्ञान शत्रु आपके सामने कमजोर पड़ता चला जायेगा।
गलत आदतों का त्याग
आचार्य चाणक्य की नीति के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु वो खुद है। कहने का मतलब है की व्यक्ति अगर स्वयं की गलत आदतों को त्याग दे तो उसको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। यदि उसमे कोई कमी या बुराई नहीं रहेगी तो शत्रु उसकी कोई भी कमजोरी को पकड़कर प्रहार करने में असफल रहेंगे। उनको वो अवसर ही प्राप्त न होगा जिससे वो उस पर किसी तरह का हमला कर सके। इसीलिए व्यक्ति सफल हो अथवा न हो उसको हमेशा ही अपनी कमजोरियों पर काम करते रहना चाहिए।
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