फिरोजाबाद : अवसर की तलाश में बीमारी बनी महामारी
फिरोजाबाद में बकरी वालो ने वायरल और डेंगू के कहर के बीच 1500 रुपये लीटर बेचा बकरी का दूध आपदा में अवसर की तलाश बीमारी बनी महामारी
फिरोजाबाद में बकरी वालो ने वायरल और डेंगू के कहर के बीच 1500 रुपये लीटर बेचा बकरी का दूध आपदा में अवसर की तलाश बीमारी बनी महामारी |
बीमारी इतनी भयानक रूप धारण कर चुकी है कि हॉस्पिटल के सभी वार्ड फुल होने पर मरीजों को रोकने की जगह कम दिखाई देने लगी है जिस प्रकार सरकार ने इंतजाम किए वो सारे फेल हो गए एक एक घर मे कई कई चारपाई बिछी दिखाई देने लगी है |
शहर हो या गांव हर घर मे कई कई बीमार एक दो दिन के बुखार में प्लेट कम होना शुरू पेट मे पीर उल्टी (वोमेटिंग ) शुरू होते ही पेट दर्द शुरू होता है |
प्लेट बढ़ाने को बकरी का दूध पपीता के पत्ते का अर्क पनीर कीवी का फल खिलाते है हरा नारियल पानी जो ड़ेंगू जैसी माहमारी के बचाव में सहायक सिद्ध होता है तो इन चीजों की कीमत आसमान छू रही है |
फिरोजाबाद में डेंगू वायरल बुखार का कहर इतना है कि अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है,और आज भी सरकारी मेडिकल कॉलेज के 100 सैयां हॉस्पिटल में 400 से ज्यादा बच्चे भी भर्ती हैं और जिले की बात करें तो काफी संख्या में लोग इस डेंगू वायरल बुखार से बीमार हैं,लेकिन इस डेंगू से बचाव के लिए अब लोग बकरी का दूध खरीद रहे हैं,क्योंकि लोगों का मानना है कि बकरी का दूध प्लेटलेट्स बढ़ाता है,इस डेंगू की लहर में बकरी वालों ने भी आपदा में अवसर ढूंढ लिया है,जो बकरी का दूध 50 रूपये से 60 रुपये लीटर बिकता था आज उसकी कीमत 1 हजार 500 रुपये लीटर हो गई है,फिर भी लोग इसे खरीद रहे हैं|
आज जब हमने बकरी वाले से बात की उसके यहां करीब 70 से 75 बकरियां थी,और वह 150 रुपये का 100 ग्राम दूध बेच रहा था,वहीं जिस खेत मे बकरी घास खा रही थी वहां के ग्रामीण का कहना था कि 100 से भी अधिक लोग बकरी का दूध खरीदने आते हैं,यह दूध डेंगू की बीमारी में काम में आता है|
,वही खरीदने वालों की माने तो उनका कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए हम दूध खरीद रहे हैं,लेकिन आपदा में अफसर ढूंढना यह गलत बात है हम जिलाधिकारी से निवेदन करते हैं कि जिस तरह इतना महंगा दूध यह बिक रहा है, उसकी एक रेट निर्धारित कर दी जाए,जिससे दूध खरीदने में दिक्कत ना हो और वह हर किसी को मिल सके।
इस समय गांवो की हालत दयनीय है जिस बकरी बकरों को खा गया आज बही बकरी का दूध काफी मंहगा खरीदने को मजबूर इसे कहते है अत्यधिक प्राकृतिक से छेड़छाड़ के दुष्प्रभाव आज महामारी के रूप में देखना पड़ रहा है |
रिपोर्ट : बृजेश राठौर
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