काबुल : पाई पाई को मोहताज हुए लोग, घर का समान बेच कर कर रहे गुज़ारा
अफगानिस्तान में तालिबान का राज होने के बाद अब बीते कुछ महीनों से अफगानिस्तान में काम काज एकदम ठप पड़ा है, और लोगों के पास कमाई का जरिया ही नहीं है।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज होने के बाद अब बीते कुछ महीनों से अफगानिस्तान में काम काज एकदम ठप पड़ा है, और लोगों के पास कमाई का जरिया ही नहीं है। लोग पाई पाई के लिया मोहताज हो गए हैं और ऐसे में वो अपने घर का समान बेच बेच कर अपना गुज़ारा करने पर मजबूर हैं । अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक ऐसा बाजार है जहां लोग अपने घरों का समान बेचने के लिए ला रहे हैं। कोई फर्निचर ला रहा है तो कोई रसोई का समान या फिर कुछ और ग्रहस्ती का समान । यहाँ लोग अपने इन सामानों को बेच रहे हैं ताकि कुछ पैसे मिल सके जिससे वो अपने खाने के लिए कुछ और अपना जरूरी समान खरीद सकें।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज आए एक महिना हो गया है परंतु इसके लिया लड़ाई बहुत पहले से चल रही है । तालिबान का राज आने के बाद अफगानिस्तान ने काफी मुसीबतें झेली हैं और अभी भी झेल रहें हैं । तालिबान के राज के बाद अफगानिस्तान में कैश की भी काफी दिक्कत हुई है , लोगों को घंटों एटीएम व बाँकों के बाहर लाइन लगानी पड़ रही है और इसमे भी नकाशी की राशि निर्धारित की गई है जिसके मुताबिक 7 दिनों में भी लोग सिर्फ 16,000 रुपये ही निकाल सकते हैं , जनता का कहना है की उन्हें इलाज के लिए ज्यादा कीमत की जरूरत पड़ रही है पर बैंक उन्हें निकालने की अनुमति ही नहीं दे रहा है । बाजार भी बंद थे जिसकी वजह से समान लेने या बिक्री करने में भी काफी मुश्किल हुई है ।
अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सरकार बना ली है , तो कुछ हद तक कामकाज फिरसे शुरू हुआ है पर अभी भी हालात में कुछ खास सुधार नहीं आया है । अभी भी कई मुश्किलों का सामना पड़ रहा है , अभी भी कहीं महिलाओं को काम नहीं करने दिया जा रहा तो कहीं तालिबान के लड़कों द्वारा अलग अलग पाबंदियाँ लगाई जा रही है। ऐसे में लोगों को पैसे जुटाना मुश्किल हो रहा है और उन्हें घरों का समान बेचना पड़ रहा है ।
अफगानिस्तान की बड़ी आबादी ने तो तालिबान के राज के बाद देश भी छोड़ दिया है। हालाकी तालिबान ने लोगों से काम पर लौटने के लिया और दफ्तरों मे वापिस आने की अपील की है पर लोगों के मन में अभी भी डर बना हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र की पिछले दिनों जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 2022 के अंत से पहले अफगानिस्तान की 97 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे चली जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में जिस प्रकार की समस्याएं चल रही है उस हिसाब से अफगानिस्तान पूरी तरह से विभाजित होने की कगार पर है। अफगानिस्तान की 1 करोड़ से ज्यादा की आबादी को भुखमरी से बचाने के लिए समय रहते मदद की जरूरत है।
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