फिरोजाबाद: जिले में डेंगू महामारी से स्वास्थ्य महकमे की पोल खुली
जिले में डेंगू महामारी ने स्वास्थ्य महकमे की पोल खोल कर रख दी है. लगातार बढ़ती जा रही मरीजों की संख्या के कारण अब फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मरीजों को भर्ती करना भी बंद कर दिया है.
जिले में डेंगू महामारी ने स्वास्थ्य महकमे की पोल खोल कर रख दी है. लगातार बढ़ती जा रही मरीजों की संख्या के कारण अब फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मरीजों को भर्ती करना भी बंद कर दिया है. आरोप है कि जो गंभीर पेशेंट हैं, उनको भी कहा जा रहा कि ओपीडी में जाकर अपना इलाज कराएं,
एक ओर जहां महामारी बढ़ती जा रही है तो वहीं हॉस्पिटल का प्रशासनमरीज भर्ती नही कर रहा है । शहर हो या गांव हर ओर बुखार की मार बुखार है। पेट दर्द, जलन, उल्टी यानी ड़ेंगू के लक्षण प्राइवेट डॉक्टर की अनाप शनाप फीस बेड का खर्चा कम से कम दो हजार स्टाफ दवाई खर्चा मिनिमम दस हजार प्रतिदिन सरकारी बेड फूल क्या करे गरीब एक घर मे चार से पांच बीमार वहीं सरकारी अस्पताल में लेने से इनकार सरकार इन अभागे माता पिता की सुने पुकार .
.बताते चलें कि उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला इन दिनों महामारी की चपेट में है. इस महामारी का नाम डेंग है
स्वास्थ्य विभाग 57 मौतों की पुष्टि भी कर चुका है. लखनऊ और दिल्ली से कई टीमें आकर भी इस बीमारी पर शोध कर रही हैं कि आखिर यह बीमारी क्यों फैल रही है और इस पर काबू क्यों नहीं हो पा रहा है
लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या और उनकी मौतों से सरकार भी चिंतित है मेडिकल कालेज में अभी 400 से अधिक मरीज भर्ती है
30 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद फिरोजाबाद आए थे, जहां उन्होंने मेडिकल कॉलेज में भर्ती डेंगू से पीड़ित मरीजों से मुलाकात की थी. साथ ही डेंगू प्रभावित इलाकों में जाकर यह भी देखा था कि आखिर डेंगू फैलने की वजह क्या है.उन्होंने इस तरह के निर्देश दिए थे कि बीमारी की रोकथाम के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं. मेडिकल कॉलेज में दवा और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए. इसके बाद मेडीकल कॉलेज को 25 नए डॉक्टर भी मिले हैं. यही नहीं, बीमारी केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है. ज्यादातर गांव भी इस बीमारी की जद में हैं
शायद ही कोई ऐसा गांव हो, जहां 50-60 लोग बीमार न हों. मरीजों को राहत देने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश पर फिरोजाबाद का स्वास्थ्य महकमा गांव-गांव में शिविर लगा रहा है।
इधर इस संबंध में मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या से बात की गई, तो उन्होंने कहा किसी भी मरीज को लौटाने और इलाज न देने की बात गलत है. केवल उन्हीं मरीजों को लौटाया रहा है, जो भर्ती लायक नहीं है. हमारे यहां इमरजेंसी अलग है और ओपीडी अलग. जो गंभीर मरीज हैं, उन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है उसके बाद भी अगर कोई दिक्कत है तो हम यहाँ 24 घन्टे बैठे है हमें बताएं।
बाइट-पीड़ित तीमारदार
रिपोर्ट बृजेश सिंह राठौर फिरोजाबाद
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