मिशन का कहीं पंजीकरण ही नहीं -संजय सिंह

आप सांसद संजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता में जल जीवन मिशन के कई इंजीनियरों के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी चिट्ठियो ने सरकार के कपड़े उतार कर रख दिए हैं

मिशन का कहीं पंजीकरण ही नहीं -संजय सिंह

हजारों करोड़ की पेयजल योजना चलाने वाली राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन अवैध संस्था है इसका कहीं भी कोई पंजीकरण तक नहीं है। राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को लेकर प्रदेश सरकार पर बड़ा हमला करते हुए आप सांसद संजय सिंह ने सरकार पर इस मिशन के माध्यम से एनआरएचएम से बड़ा महाघोटाला करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों का जेल जाना तय हैं। बिना पंजीकरण की संस्था को हजारों करोड़ के काम मिलने और इसका बैंक अकाउंट खुलने का ऑडिट और जांच दोनों होनी चाहिए। गौरतलब है भारत सरकार की स्पष्ट गाइड लाइन और प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास विभाग के 12 अक्टूबर 2012 को जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) एक पंजीकृत सोसायटी होनी चाहिए। एक आरटीआई के लिखित जवाब में लखनऊ के रजिस्ट्रार चिट्स फंड एंड सोसायटीज़ ने पहले ये बताया कि उनके अभिलेखों में उक्त नाम से कोई संस्था पंजीकृत नहीं है लेकिन दूसरे ही दिन वो लिखित जवाब देते हैं कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के नाम से तो नहीं पर उसके मिलते जुलते नाम उत्तर प्रदेश वाटर सप्लाई एंव सैनीटेशन के नाम से एक सोसायटी साल 1999-2000 में उनके कार्यालय के अभिलेखों में पंजीकृत है। जबकि इसी सवाल की आरटीआई के लिखित जवाब में राज्य पेयजल मिशन ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

आप सांसद संजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता में जल जीवन मिशन के कई इंजीनियरों के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी चिट्ठियो ने सरकार के कपड़े उतार कर रख दिए हैं, इंजीनियरों ने त्रिपक्षीय अनुबंधों को लेकर मिशन के आला अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं कि जब सारे टेंडर और वेंडर ऊपर से ही तय कर दिए गए तो फिर जिला स्तर की समितियों का औचित्य क्या रह जाता है। इसी क्रम में इंजीनियरों ने एक पत्र में वित्तीय सीमा को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं जिसमें कहा गया है कि एक्सईएन को विभाग की तरफ से मात्र 1 करोड़ की ही वित्तीय पावर है तो वो इससे अधिक की राशि के अनुबंध कैसे करें। इंजीनियरों के इस खुलासे के बाद तुरंत ही मिशन के निदेशक की तरफ से जल निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक को चिट्ठी लिखकर एक्सईएन की वित्तीय सीमाओं को अनलिमिटेड कर दिया गया। संजय सिंह ने ये भी खुलासा किया कि इंजीनियरों ने लिखा है कि टेंडर पाई कंपनियां जल निगम की स्वीकृत दरों से 30-40 प्रतिशत ज्यादा की दरों पर एस्टीमेट बनवा रही हैं जिसको लेकर पेयजल मिशन के अधिषाशी निदेशक की तरफ से एमडी जल निगम से पत्र भेजकर तीन दिनों में जल निगम के कार्यों एवं सामग्रियों के लिए नये स्वीकृत दरों की मांग की गई है, संजय सिंह ने कहा कि इसका मतलब पहले एसडब्ल्यूएसएम में बढ़ी दरों पर काम आवंटित हो गए तो उसे जल निगम की पहले की दरों को रिवाइज़ कराकर एसडब्ल्यूएसएम की दरों के बराबर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।  संजय सिंह ने एक इंजीनियर की चिट्ठी का हवाला देकर कहा कि गांवों में पानी देने वाली इस योजना का बजट 2 करोड़ रूपए से अधिक हर गांव का है ऐसे में 10 प्रतिशत की सहयोग राशि जो गांव वालों को देनी है करीब 20 लाख रूपए की वसूली कैसे होगी, इंजीनियर ने चिट्ठी के माध्यम से मिशन निदेशक से ये भी पूछा है कि सहयोग राशि को योजना के क्रियान्यवयन से पहले वसूलना है या बाद में और अगर ये पैसे गांव वाले देने से इंकार कर दें तो क्या करना है, मतलब गांव में बिना सहयोग राशि के पेयजल योजना शुरू की जाए या नहीं।

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