वाराणसी: पिछले 24 दिनों से दृष्टिबाधित बच्चे दुर्गाकुंड इलाके में दें रहें है धरना
मामला ट्रस्ट की तरफ से कक्षा 9 से 12 तक के क्लास को ख़त्म करना है। बच्चे कह रहे हैं कि ट्रस्ट के ट्रस्टी अपना हित साधने के लिए बड़े बच्चों के क्लास को बंद कर रहे हैं।
वाराणसी में पिछले 24 दिनों से दृष्टिबाधित बच्चे दुर्गाकुंड इलाके में सड़क पर धरने पर बैठे हैं। यह बच्चे दुर्गाकुंड इलाके में ही स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय मैं कक्षा 9 से 12 तक के क्लास को मैनेजमेंट के द्वारा खत्म करने के विरोध में कर रहे थे। उनके साथ कल सूबे के दिब्यांग कल्याण मंत्री ने वार्ता कर समाधान निकलने की बात कही थी। छात्र उनकी बात मान कर सड़क से धरना हटा कर किनारे धरना चलने की बात कही थी लेकिन देर रात पुलिस उन्हें से उठा ले गई। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ जबरजस्ती की। दृष्टिबाधित बच्चों के आंदोलन का पूरा मामला ट्रस्ट की तरफ से कक्षा 9 से 12 तक के क्लास को ख़त्म करना है। बच्चे कह रहे हैं कि ट्रस्ट के ट्रस्टी अपना हित साधने के लिए बड़े बच्चों के क्लास को बंद कर रहे हैं। आरोप यह भी है कि धीरे-धीरे वह पूरा विद्यालय भी बंद कर सकते हैं जबकि ट्रस्ट का कहना है के बच्चों की अनुशासनहीनता इतनी बढ़ गई थी जिसकी वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है।
एम्बियान्स ब्रेक : बच्चों से वार्ता करते दिब्यांग अधिकारी
रविवार को जिले के दिब्यांग कल्याण अधिकारी बीते 24 दिनों से धरने पर बैठे बच्चों को दिव्यांग कल्याण मंत्री से उनकी हुई वार्ता के बाद निष्कर्ष को बताने और समझाने पहुंचे हैं
बाईट राजेश मिश्रा ( जिला दिबयांग अधिकारी )
माननीय मंत्री जी से बात इनकी हुई थी 4 प्रतिनिधि इनके वहां गए थे और उनसे कहा गया था कि आपकी जो भी शिकायतें हैं कक्षा 9 से 12 जो बंद किया गया है तो उसके संबंध में जितने भी बिंदु है जो इन्होंने लिखित रूप से दिया है उस पर विद्यालय प्रबंधन से वार्ता करके शासन से भी वार्ता करके एक हल नियम सम्मत हो सकता जो भी हल निकलेगा उसे सूचना दे दी जाए
बच्चों ने भी दिव्यांग कल्याण मंत्री से वार्ता के बाद दिव्यांग अधिकारी के सार्थक पहल निकालने के आश्वासन पर अपने धरने को सड़क से हटाकर किनारे चलाने का भरोसा दिया।
बाईट अभय कुमार शर्मा दृष्टि बाधित
मंत्री जी से जो वार्ता हुई थी उसी को लेकर के यहां पर आए थे कि हमें 3 से 4 दिन का समय चाहिए एक सकारात्मक दिशा में समाधान करेंगे (पैच) इस सकारात्मक दिशा में वार्ता का हम लोग स्वागत करते हैं हम पहले घंटे ही यह चाहते थे पुलिस के द्वारा किए गए पर एवं परेशानियों से विद्यालय प्रबंधन के गलत निर्णय और शासन प्रशासन के मौन के कारण सड़क पर थे ( पैच) हम सड़क छोड़ेंगे और अपना धरना यही किनारे करेंगे यहीं आसपास चाहिए पुलिस चौकी के पीछे की जगह हो और चाहे जहां व्यापारी धरना दे रहे वह जगह भी मिल जाती है तो वही करेंगे लेकिन सुबह होने से पहले ही धरना स्थल पर बैठे बच्चों पर पुलिसिया कार्यवाही हुई और उन्हें जबरन धरना स्थल से हटा लिया गया इसकी सूचना जब उनके अन्य साथियों को मिली तो सभी धरना स्थल की ओर बढ़े लेकिन उन्हें BHU के सिंहद्वार पर रोक लिया गया जहां पुलिस के सामने उनका गुस्सा कुछ इस तरह से निकल रहा है
एम्बियान्स बाइट अभय कुमार दृष्टि बाधित बच्चे
हमने उनसे कहा था कि हम कल सुबह तक रोड खाली कर देंगे आज रात में हमारे बच्चों को मरते पीटते अपहरण करके न जाने कहाँ ले गये हमारा धरना खत्म कर दिया आजाद भारत में हमारे साथ ही अन्याय क्यों क्या हम गुलाम भारत में यह गांधी के सपनों का भारत नहीं है यस बॉस के सपनों का भारत यही है कि आप रात में निहत्थे सोते हुए अंधों को मारते पीटते ले जाएंगे और यह कहेंगे कि हमने वार्ता किया है हमने जबकि कह दिया मीडिया में कह दिया कि हम धरना किनारे कर रहे हैं।
पूरा मामला दृष्टिबाधित बच्चों के उस आंदोलन से है जिसमे वो पिछले २४ दिनों से दुर्गाकुंड इलाके में स्थित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में कक्षा 9 से 12 तक की ट्रस्ट द्वारा बंद कर दी गई क्लास को पुनः संचालित कराने को लेकर है।
(बच्चों के धरना प्रदर्शन का शॉट ढपली बजा कर गाने के बोल )
पिछले 24 दिनों से इसी तरह अपनी मांग पर डटे ये बच्चे आरोप लगा रहे हैं कि ट्रस्ट अपने निजी की वजह से बड़े बच्चों की क्लास को बंद कर रहे हैं .
बाईट अभय कुमार शर्मा (धरनारत दृष्टि बाधित )
हमे धरना इसलिये देना पड़ रहा है कि श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार विद्यालय जो कि 50 वर्ष पूरे करने वाला है जिससे कि इसके संस्थापकों ने और poddar Ji भाई के विचार से यह बना था और जमीन दाता ने भी से पवित्र उद्देश्य के लिए जमीन दी थी कि यहाँ दृष्टि बाधितों का विद्यालय चलेगा लेकिन यहां पर इसे व्यापारिक हित साधने की कोशिश की जा रही है इसके माध्यम से और इसका आकार छोटा कर दिया गया और उसे पूरी तरीके से बंद करने की साजिश चल रही है ।इनका कहना है कि हमारे पास वित्तीय अभाव है जिसके वजह से हम 9 से 12 तक नहीं चला पा रहे हैं।
दृष्टिबाधित बच्चे कक्षा 9 से 12 तक के क्लास को खत्म करने के पीछे ट्रस्ट की निजी हित की बात भले ही कर रहा हों लेकिन ट्रस्ट कहता है कि बड़े बच्चे अनुशासन हीन हो गए थे और उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था इसलिए विद्यालय को बचाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा.
हम लोगों ने जून 2020 में कुछ कक्षाओं को बंद करने का निश्चय किया था कि हम लोग पहले ते13 कक्षाएं चलाते थे जून 2020 में हमने 4 कक्षाओं को बंद करके 9 कक्षाओं को चलाने के लिए किया उसके पीछे बड़े बच्चों की अनुशासनहीनता जो लगातार 8 – 9 सालों से चल रही थी इसके अलावा खर्चे बढ़ रहे थे हमारे पास आय का कोई रिकरिंग सोर्स नहीं था और धन का आभाव भी अनुशासनहीनता से जुड़ा हुआ है अगर चीजे अनुशासित चलती तो और लोग भी सहयोग करते हैं लेकिन अनुशासित नहीं चल रही थी लोगों का सहयोग कम हो गया तो इसके पीछे जो आर्थिक कारण है वह है लेकिन इसके पीछे मुख्य कारण अनुशासनहीनता है
ट्रस्ट के इस आरोप को यह दृष्टिबाधित बच्चे सिरे से खारिज करते हैं और कहते हैं कि इनकी मंशा साफ रूप से इस विद्यालय पर कब्जा करने की है.
8वीं तक भी अगर बात है तो 2 साल तक कोरोना में इन्होंने कोई ऑनलाइन क्लास नहीं दी है और अभी तक इस बार आदेश होने के बावजूद बच्चों के लिए कोई ऑफलाइन नोटिस नहीं दी है इनका पूरी तरह मंशा साफ है अभी अगस्त महीना पूरा व्यतीत होने को है कोई प्रवेश इन्होंने 2 तीन एडमिशन के अलावा नहीं लिया दूसरी तीसरी कक्षा तक बच्चे नही है । इनकी साफ मंशा है कि दो-तीन साल में पूरी तरह यहां से बच्चे खाली हो जाएंगे तो बच्चे ना होने का भी हवाला देकर क्यों पूरी तरीके से कब्जा करेंगे क्योंकि यह पूर्व में गोदाम साइकिल स्टैंड वाहन स्टैंड बनाते रहे है. ट्रस्ट पर कब्जा करने और इसे भविष्य में बेच देने के आरोप अक्सर लगते हैं इस पर ट्रस्ट अपनी सफाई कुछ यूं देता है
बाईट श्याम सुंदर प्रसाद (उपाध्यक्ष हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय ट्रस्ट )
कब्जा तो वह करता है ना जिसका कब्जा ना हो हमारा तो ट्रस्ट है हमारी कमेटी है हमारे ट्रस्ट कमेटी में भी किसी तरीके की मत भिन्नता नहीं है तो कब्जा क्या करना है यह हमारा ही है (पैच)हमारे ट्रस्ट में यह संभव ही नहीं है कि हम ट्रस्ट को सेल आउट कर सकें यह संभव नहीं है ट्रस्ट का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है कि उसको कमर्शियल आइज किया जाए यह बात पिछले बाद पिछले आठ 10 सालों से आ रही है जब भी यह लोग आंदोलन करते हैं तो इस तरह की बात आती है जिलाधिकारी महोदय को भी उन्होंने कहा था एक-एक कमरे खुलवा कर जिलाधिकारी महोदय ने सत्यापन कराया बल्कि कुछ कमरे ऐसे थे जो उपयोग में नहीं आ रहे थे उनका ताला तोड़कर के सत्यापन हुआ ऐसी कोई दूर-दूर तक योजना नहीं है ।
गौरतलब है की श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय सन 1972 में बना था तब से यहां प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक की आवासीय सुविधा का विद्यालय रहा कक्षा 9 से 12 तक में तकरीबन 50 छात्र थे जिनमें से जून 2020 में कक्षा 9 और 11 के 28 बच्चों में से 24 बच्चों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित कर इन कक्षाओं को बंद करने का ऐलान किया गया । लेकिन बच्चे इसी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं क्योंकि यह सुविधा प्रदेश के अन्य स्कूलों से ज्यादा बेहतर है इसके लिए कुछ बच्चे इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए हैं जहां मामला अभी लंबित है शासन प्रशासन हाई कोर्ट में चल रहे मामले का हवाला देकर मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है। लेकिन बीती रात पुलिस ने इस पर चुप्पी तोड़ी और धरनारत बच्चों को कार्यवाई कर हटा दिया।
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