वाराणसी: जीना इसी का नाम है, युवा चित्रकार ने “अनलाकिंग सेल्फ ” प्रदर्शनी के जरिये भेजा संदेश
देश के वास्तविक हालात को अवगत कराने के उद्देश्य से देश की युवा चित्रकार एवं विजुअल आर्टिस्ट शिखा पटेल ने दूसरी तरफ उस मंजर के बीच मनुष्यों के मनोस्थिति एवं उसकी दशा को चित्रों में अंकित करना शुरू कर दिया था।
वाराणसी :कोविड 19 महामारी एवं लॉक डाउन के बीच एक तरफ देश किसी अनचाहे त्रासदी से गुजर रहा था,वही हालात -ए-मंजर यह बयां कर रहे थे कि ये कॉफी खौफनाक दौर से गुजर रहा है। इस दौर को चित्रवद्ध करके देश के वास्तविक हालात को अवगत कराने के उद्देश्य से देश की युवा चित्रकार एवं विजुअल आर्टिस्ट शिखा पटेल ने दूसरी तरफ उस मंजर के बीच मनुष्यों के मनोस्थिति एवं उसकी दशा को चित्रों में अंकित करना शुरू कर दिया था।
दिल्ली कालेज ऑफ आर्ट की पूर्व विजिटिंग प्रोफेसर एवं बी एच यू की शोध छात्रा शिखा पटेल ने बताया कि यह कोई सामान्य प्रदर्शनी नही बल्कि इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित कलाकृतियां लॉक डाउन के दौरान प्रभावित लोगों के एवं उनकी आत्म-यात्रा का सृजनशील दस्तावेज है। एक चित्रकार के लिए इस कार्य को कम संसाधनो में सजोना काफी चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन इस दौरान जब लॉक डाउन के ठहरे हुए समय ने जब हमें स्वयं से साक्षात्कार कराया तब अपने आसपास हुई हर एक गतिविधियों और प्रकृति से सामंजस्य बनाकर स्वयं के दृष्टिकोण में खुद को समझने का अवसर भी प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान एक कलाकार के ह्रदय के अनेक संवेदनशील भाव और संवेगों के अनन्त यात्रा को कागज के छोटे-छोटे टुकड़ो पर चित्रों के माध्यम से व्यक्त करने का यह एक प्रयास किया गया।
इन कलाकृतियों में संसाधनों के अभाव के बावजूद सीमित और अपने आसपास पड़े संसाधनो के इस्तेमाल जैसे अक्रेलिक रंग,पेंसिल,पेंसिल कलर,ईंट के टुकड़े,फोटोग्राफ आदि का मिश्रित प्रयोग किया गया है।हमारा उद्देश्य इन कलाकृतियों के माध्यम से कोरोनकाल की विभीषिका,अवसाद और निराशा के काले बादलों से निकलते हुए मानव इतिहास के नए जीवन और आशा के सुनहरी किरण को दैदीप्यमान और प्रकाशित करना है।
बाईट:- शिखा पटेल,आर्टिस्ट
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