इस एक घटना के बाद विकास दुबे ने रखा था जुर्म की दुनिया में कदम, गैंगस्टर बन लगाने लगा खुद की अदालत

कानपुर. कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र में 3 जुलाई की रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर हुए हमले की घटना ने योगी सरकार और पुलिस महकमें की नींद उड़ाकर रख दी है। मोस्ट वांटेड घोषित हो चुका विकास दुबे अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वहीं उस पर इनाम की धनराशि 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख कर दी गई है। वहीं पुलिस को अब तक विकास दुबे के 21 साथियों का पता लगा चुकी है। जिसमें एक साथी को पुलिस ने मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया है।

गौरतलब है कि गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर उसे गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस की टीम पर अंधाधुंध फायरिंग कर एक सीओ समेत आठ पुलिसवालों को मौत के घाट उतार दिया।

जुर्म की दुनिया में रखा कदम

जुर्म की दुनिया में कदम रखने से पहले मोस्ट वांटेड घोषित हो चुका विकास दुबे भी एक सामान्य युवक था। जहां पिता रामकुमार और मां के साथ रहता था। यह दौर था 1994 का जब दलित समाज के कुछ लोगों ने विकास के पिता राजकुमार से बदसलूकी करने के साथ उनकी पिटाई कर दी। ऐसा आरोप लगाया कि समाज के लोगों ने विकास के पिता को बुरी तरह मारा था। इस घटना की जानकारी मिलते ही विकास अपने पिता का बदला लेने के लिए घर में रखे असलहे को उठाकर उस वर्ग के लोगों के पास पहुंच गया। इस विवाद के दौरान विकास के साथ उसके कई दोस्त भी मौजूद थे। यहीं से विकास की एंट्री अपराध की दुनिया में हो गई।

बहन ने बताया इस घटना के बाद गांव में लोग विकास दुबे से घबराने और डरने लगे। जब विकास अपने साथियों के साथ पैदल निकलता था, तब भी लोग या तो सिर झुकाए खड़े रहते या फिर उसके पैर छूने के लिए दौड़ पड़ते। उन्होंने बताया गांव में विकास का सम्मान इसलिए भी था क्योंकि वह गरीब लड़कियों की शादी से लेकर अनाज तक की मदद करता था।

विकास के पिता राजकुमार ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि एक मामूली से झगड़े के बाद बेटा इतना आगे चला जाएगा। राजकुमार ने कहा ‘उसे रोकने का प्रयास तो किया था, लेकिन जब हाथ से निकल गया बेटा तो क्या करें? औलाद कितनी बुरी क्यों ना हो एक पिता के लिए वह सब कुछ होती है।’

बताया जा रहा है कि 1995 के बाद इस गांव में बने विकास दुबे के आलीशान घर के बाहर मैदान में एक अदालत लगती थी, जिसमें जज कुख्यात अपराधी विकास दुबे बनता था। जहां एक कुर्सी में कुख्यात अपराधी बैठता था। बगल में दो बंदूकधारी और लट्ठ लेकर एक दर्जन लोग खड़े रहते थे।

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