प्रयागराज: दूसरे दिन भी खतरे के निशान से ऊपर बहे रही है गंगा और यमुना, सड़क और रास्ते हुए जलमग्न
नदियों में आये उफान की वजह से आई बाढ़ की वजह से जिले में लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। इलाकों में बाढ़ की वजह से दर्जनों मोहल्ले और गांव जलमग्न होकर टापू बन गए हैं।
प्रदेश में हो रही भारी बारिश की वजह से संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियों में जलस्तर बढ़ा हुआ है। जिसकी वजह से जिले के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस आया है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रयागराज में गंगा और यमुना आज खतरे के निशान से तकरीबन एक मीटर ऊपर बह रही हैं। यहीं नहीं टोंस और ससुर खदेरी जैसी नदियां भी अपना दायरा तोड़कर सड़कों, रास्तों, गांवों व खेतों में तबाही मचा रही हैं।
नदियों में आये उफान की वजह से आई बाढ़ की वजह से जिले में लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। इलाकों में बाढ़ की वजह से दर्जनों मोहल्ले और गांव जलमग्न होकर टापू बन गए हैं। यहीं नहीं जानकारी के मुताबिक अगले दो दिनों तक और बढ़ते रहने की आशंका जताई जा रही है।
आम लोगों की जिंदगी हुई अस्त व्यस्त
इलाके में आई बाढ़ की वजह से वहां पे रहने वाले लोगों को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हज़ारों की संख्या में लोग बेघर होकर सुरक्षित जगहों या राहत कैम्पों में शरण लेने को मजबूर हैं। सैकड़ों मकानों की पहली मंज़िल बाढ़ के पानी में डूब चुकी है किसी की गृहस्थी बह गई है तो कोई बाढ़ घिरा होने के बावजूद घर की छतों पर डेरा जमाए हुआ है और मदद की उम्मीद में है। प्रयागराज जाने के सभी रास्ते तकरीबन दो किलोमीटर पहले से ही बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं। इसके अलावा गंगा के कछारी इलाकों में किराए के कमरों में रहने वाले छात्र भी बाढ़ में घिरे होने के बावजूद ऊपर की मंज़िलों पर रह रहे हैं।
बाढ़ के बावजूद सामने आ रही है चोरी की घटनाएं
प्रयागराज में रहने वाले लोगों को दोहरी मार पड़ी है, पहले तो बाढ़ की और फिर चोरी की, घर में रखा कीमती सामान चोरी हो जाने के डर की वजह से तमाम लोग राहत कैम्पों या किसी दूसरी सुरक्षित जगह पर जाने के बजाय टापू बन चुके घर की छत पर ही डेरा जमाने को मजबूर हैं. चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने अब प्राइवेट नावों के चलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। प्रयागराज रेंज के आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक़ लोग प्राइवेट नावों से मकानों में घुसकर चोरी न कर सकें, इसीलिये इस पर पाबंदी लगाई गई है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब सिर्फ सरकारी नावें ही चलेंगी। सरकारी नावों से ही राहत व बचाव का काम किया जाएगा।
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