बुंदेलखंड : बाढ़ बनी आफत, जिला मुख्यालय के कई मोहल्लो में घुसा पानी
यूपी बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में आयी यमुना और बेतवा नही की भीषण बाढ से हालात बद से बत्तर हो गए है।
यूपी बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में आयी यमुना और बेतवा नही की भीषण बाढ से हालात बद से बत्तर हो गए है। यंहा के कई परिवार यमुना और बेतवा में आये जल प्रलय के बाद भुखमरी की कगार में आ गए है। उनके पास न खाने को कुछ बचा है न सर छिपाने को छत ,हालात इस कदर नाजुक हो चुके है कि सिर्फ जिला मुख्यालय के ही आधा दर्जन से अधिक मोहहले बाढ़ के पानी से लबालब भर चुके लोगों के घरों की एक एक मंजिल पानी मे समा चुकी है। वहीं जिन सड़कों में कभी मोटर गाड़िया दौड़ा करती है वहां आज लोगो को अपने घरों से आने जाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जिधर देखे सिर्फ पानी ही पानी…सड़को में पानी …लोगो के घरों मुहल्लों में पानी …पानी का यह सितम देखकर बुन्देखण्ड के लोगो की आंखों में भी पानी उतर आया है जहां के लोग पानी की एक एक बूंद के लिए ये तस्वीरे है उन बदनसीबो की जिनका सहारा न तो भगवान् है न ही प्रशासन इनकी आँखों में अब वो दर्द का वो सैलाब है जो दम शायद बाढ़ के पानी के सैलाब में भी नहीं था। सड़क किनारे डेरा डाले वो लोग है जिनकी सर से छत गायब हो गयी। बाढ़ की जल प्रलय ने इनके घर और उसमे रखे सामान को तहस नहस कर दिया। घरो में दीवारे गायब हो गयी बची है तो सिर्फ दरवाजे और उनमे लगी कुण्डी। बाढ़ में इनका सब बर्बाद हो गया अब आस है तो सिर्फ सरकारी मदद की ताकि अपना मिटटी का आशियाना फिर से खड़ा कर सके और अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर ला सके। लेकीन लगातार बढ़ रहीं यमुना और बेतवा नदियों के चलते इनकी उम्मीदे में पानी फिरा हुया है। वहीं इस बाढ़ विभीषका से किसानो की सैकड़ो बीघा फसल बर्बाद और तबाह हो चुकी है जिससे किसान चिंतित है की वह अब अपने परिवार भरण पोषण किस तरीके से करेगा।
हमीरपुर जिले में कई गाँव के आधा सैकड़ा घर गिरे और सब कुछ तबाह हो गया घर के जिन सदस्यों ने इस मंजर को देखा उनकी आँखों में आज भी वो एक बुरा सपना बन उभर आता है। घर में रखा अनाज हो या कपडे और बच्चो के पढ़ाई की किताबे इस बाढ़ ने अपनी तबाही के निशान के आलावा कुछ नहीं छोड़ा। बाढ़ के चलते लोग अपने अपने घरों की छातो में कैद हो गये है। बाढ़ से जिला मुख्यालय के आधा दर्जन से अधिक मोहल्लों में पानी भर गया है। लोगों के मकानों के एक एक खंड पानी से भर गए है और लोग अपने घरों की छतों अपना डेरा डाले है ऐसे में आने जाने के लिए नावों का सहारा ले रहे हैं।
मध्यप्रदेश में हुयी लगतार बारिश के बाद यंहा यमुना और बेतवा में बाढ़ का रौद्र रूप देखने को मिला।यमुना और बेतवा नदियां पिछले 5 दिनों से अपने खतरे के निशान 103 और 104 से 3 और 2 मीटर तक ऊपर बह रही है।बेकाबू हुए पानी के सैलाब के समाने जो आया वो बर्बाद और तबाह हो गया लेकिन इन लोगो के पास तमाशा देखने के सिवा कोई और रास्ता न था।..इससे लगभग दो दर्जन से अधिक गाँव ज्यादा प्रभावित हुए है लोग अभी भी सड़को में बसेरा बनाने को मजबूर है। प्रशासन का मलहम इनके लिए नाकाफी साबित होता नजर आ रहा है।।अधिकारियो की माने तो सर्वे शुरू हो गया है और जल्द ही रिपोर्ट तैयार कर मुआवजे का एलान किया जायेगा।.
बाढ़ के इन्ही हालातों का जायजा लेने पहुंचे स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने जल प्रलय से तबाह हुए लोगों का हालचाल जाना औऱ राजकीय महाविद्यालय कुछेछा एवं राठ मोड़ तिराहे पर बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री सौंपी,जिसमें से विविध प्रकार की दैनिक उपयोगी वस्तुएं सम्मलित है,उन्होंने कहा कि सरकार बाढ़ पीड़ितों के साथ खड़ी है उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी,प्रशासन द्वारा दी जा रही मदद के अलावा बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के दिन से कई समाज सेवी लोगों की निरंतर मदद में जुटे हुए हैं जिसमें से नगरपालिका अध्यक्ष कुलदीप निषाद के छोटे भाई अशोक निषाद ने बाढ़ से प्रभावित करीब पांच सौ लोगों को लंच पैकेट वितरित किए।
यमुना और बेतवा नदी की बाढ़ के कहर से तबाह हुए सैकड़ों परिवार की आस अब सिर्फ और सरकार से बची है लेकिन सरकारी मशीनरी है की वो महज खानापूर्ति कर इनके जख्मो में मदत का मरहम लगाने की बजाय हाथ में हाथ धरे बैठे है ।…अब देखना यह होगा यहाँ के लोगो पर कुदरत कब मेहरवान होगी ।और कब जिला प्रशासन इन बाढ़ पीडितो इनकी जरूरती समान उपलब्ध करवाता है ?
Report- Mukesh kumar
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