आजमगढ़: महाविद्यालयों की परीक्षा मे चल रही धुवाँधार नक़ल डॉ राजेश्वरी पाण्डेय, प्रवक्ता,डी ए वी पी जी कॉलेज, सबूतों और प्रमाणों के साथ मीडिया के सामने किया सच का खुलासा

आजमगढ़ कुलपति द्वारा परीक्षा में नकल रोकने के लिए उड़ाका दल की टीमें बनाई जाती हैं और ऑब्ज़र्वर भी नियुक्त किये जाते हैं जो परीक्षा की शुचिता और पवित्रता , कॉलेजो की परीक्षा के दौरान बनी रहे इसका ध्यान रखते है।

आजमगढ़ कुलपति द्वारा परीक्षा में नकल रोकने के लिए उड़ाका दल की टीमें बनाई जाती हैं और ऑब्ज़र्वर भी नियुक्त किये जाते हैं जो परीक्षा की शुचिता और पवित्रता , कॉलेजो की परीक्षा के दौरान बनी है कि नहीं यह देखते हैं और उसकी रिपोर्ट विश्विद्यालय को देते हैं।

केवल आज़मगढ़ जिले में विश्विद्यालय द्वारा एक अलग से महिला टीम बनाई गई थी। जिसकी संयोजक डॉ गीता सिंह मौर्य,विभागाध्यक्ष,एसोसिएट प्रो0,हिंदी विभाग,डी ए वी पी जी कॉलेज, आज़मगढ़ थी और डॉ इंदु श्रीवास्तव के साथ वह उसमें सदस्य नामित थी । परीक्षा 6 जुलाई से शुरू हुई ,पारिवारिक कारणों से वह कॉलेज से 9 जुलाई को रिलीव होकर टीम के साथ कॉलेजो के निरीक्षण में जाने लगी। जहाँ कॉलेजों में नकल पकड़ी गई और उसकी रिपोर्ट में कुछ न दिखाया गया तो उन्हें बेहद आश्चर्य हुआ.

संयोजक से पूछने पर उन्होंने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण के कारण ऐसा करना पड़ता है। कुछ देर बाद उनके पति डॉ अखिलेश चंद्र मौर्य जो गाँधी पी जी कॉलेज, मालतारी, आज़मगढ़ में बी0 एड0 विभाग के असोसिएट प्रोफेसर हैं,उसी सेंटर पर पहुंच जाते थे साक्ष्य सहित नकल पकड़ने के बाद भी दोनों लोग उसकी सही रिपोर्टिंग नहीं करते थे। डॉ अखिलेश चंद्र मौर्य केंद्र पर अपना फ़ोन नम्बर भी देते थे कि बाद में बात होगी। जिन कॉलेजों में नकल पकड़कर सही रिपोर्टिंग नहीं की गई उस रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर जानबूझकर नही कराए गए जबकि यह विश्विद्यालय के नियम विरुद्ध है।

गलत और अनैतिक कार्य का विरोध करने पर उन्हें तरह तरह से धमकी दी गयी और मुँह बन्द करने की आखिरी कोशिश की गयी लेकिन छात्रहित और समाज के हित में उन्होंने कुलपति से साक्ष्य सहित इसकी शिकायत कर दी हालाँकि उन्होंने पहले दिन मिलने का समय नही दिया और वह दिनभर इंतज़ार करती रही,जब उनके वाट्सएप नम्बर पर उन्होंने प्रमाण सहित मिलने की बात कही तब उन्होंने गुरुवार को मिलने के लिए बुलाया।

 

इस बीच आभास होने पर डॉ गीता सिंह मौर्य लगातार फोन करती रही डॉ अखिलेश चंद्र मौर्य ने भी न केवल मिलकर मैनेज करने के लिए दबाव डाला बल्कि अन्य लोगों से भी दबाव डलवाया। जिसका ऑडियो क्लिप भी उनके पास मौजूद है। उनकी शिकायत पर कुलपति ने 22 जुलाई को महिला टीम को तो विघटित कर दिया लेकिन पर्यवेक्षक डॉ अखिलेश चंद्र मौर्य पर कोई कार्यवाही नहीं की जो इस बड़े गुनाह में बराबर के हिस्सेदार हैं उन्होंने बताया किअब मुझे दोनों पति पत्नी की तऱफ से लगातार धमकियां दी जा रही और बदला लेने की बात कही जा रही है।

जिससे मैं और मेरा परिवार डरा हुआ है। लेकिन छात्रहित और शिक्षा के नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए मैं किसी के दबाव में नही आऊँगी, मैंने सारी जानकारी कुलपतिअध्यक्ष/मंत्री शिक्षक संघ,महिला आयोग और उच्च अधिकारियों को दे दी हैं और मेरी मांग है कि डॉ गीता सिंह मौर्य और उनके पति डॉ अखिलेश चन्द्र मौर्य के अनैतिक कार्यों की गहन जांच कराई जाए और उनसे मेरे और परिवार की सुरक्षा की जाए।

बाईट:-डॉ राजेश्वरी पाण्डेय (प्रवक्ता,गृह विज्ञान,डी ए वी पी जी कॉलेज)

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