सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका 'जन स्वास्थ्य अभियान' की ओर से दाखिल की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका ‘जन स्वास्थ्य अभियान’ की ओर से दाखिल की गई है। जिसमे कहा गया कि नियमों का पालन नही होता। निजी अस्पताल मरीजों से ज्यादा पैसे लेते हैं। याचिका में कहा गया है कि कानून और नियम होने के बावजूद वो लागू नही हैं। नियम नोटीफाई नही हैं। अस्पताल लोगों से ज्यादा पैसे लेते हैं। कई छोटे निजी क्लिनिक बिना विशेषज्ञ डॉक्टर या उचित सुविधा के मरीज़ों का इलाज करते हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं के कुप्रबंधन का मामला

NGO जन स्वास्थ्य अभियान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को जारी किया नोटिस।

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कि तरफ से कहा गया कि देश में स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं। इलाज के नाम पर मरीजों से अस्पतालों अधिक फीस ले रहे है।

इतना ही नहींऔर छोटे क्लीनिक और लैब में उचित संख्या में चिकित्सा कर्मी तक नहीं हैं।

इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि देश की 70% स्वास्थ्य सेवा निजी हाथों में है। इसको देखते हुए चिकित्सा संस्थानों के लिए मानक एवं दिशानिर्देश साथ ही उपचार का मानक भी होना चाहिए।

इसपर CJI ने कहा कि सवाल यह है कि हमें इस मामले में व्यावहारिक होने की जरूरत है। इन संस्थानों के लिए पंजीकरण के नियम भी हैं।

कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि छोटे स्वास्थ्य केंद्रों और लैब में MBBS, MD डॉक्टरों सहित योग्य और आवश्यक कर्मी हों।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट यह भी कहा कि हमने सरकार को एक रिप्रजेंटेशन भेजा, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। NHRC और हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक पेशेंट चार्ट तैयार किया है जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।

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