वाराणासी : काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में सुलहनामे की बड़ी पहल, मंदिर को 1700 फीट जमीन देगा मुस्लिम पक्ष
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच चल रहे विवाद में काेर्ट के बाहर सुलह की बड़ी पहल हुई है।
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच चल रहे विवाद में काेर्ट के बाहर सुलह की बड़ी पहल हुई है। इस पहल के अनुसार मुस्लिम पक्ष काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ( Kashi Vishwanath Corridor ) के लिए मस्जिद से सटी हुई 1730 फीट जमीन देगा। बदले में मंदिर प्रशासन मुस्लिम पक्ष को एक अन्य स्थान पर 1000 फीट जमीन लौटाएगा।
मुस्लिम पक्षकारों ने मंदिर प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद से सटी हुई जमीन देने का फैसला किया है। इस फैसले को वर्षों से चले आ रहे इस विवाद के निपटने की उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। सुलहनामे की पहल के अनुसार अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को 1730 फीट जमीन मिल जाएगी। जिस जमीन काे दिए जाने की बात कही जा रही है उस जमीन पर फिलहाल कंट्रोल रूम बना हुआ है। समझौते के अनुसार इस जमीन के बदले में मंदिर प्रशासन भी मुस्लिम पक्ष को करीब 1000 फीट जमीन देगा। फिलहाल यह मामला वाराणसी कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन अब इस मामले में सुलह की एक बड़ी पहल होने के बाद इसके निपटने के आसार बन रहे हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्ववनाथ मंदिर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों इस विवाद को लड़ रहे हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था और इसके अवशेष पर ही मस्जिद बनाई थी। इसी कारण मंदिर की जमीन के एक हिस्से को ही ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। इसी मामले को उठाते हुए वर्ष 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी में पूजा अर्चना की अनुमति मांगी गई थी। इसके लिए एक याचिका दायर की गई थी। मुस्लिम पक्षकारों ने इसका विरोध किया था।
वर्ष 2019 में विजय शंकर रस्तोगी की ओर से सिविल कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया गया जिसमें अनुरोध किया गया कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया जाए ताकि इस बारे में सच्चाई सामने आ सके. इसके बाद से ही यह विवाद चला आ रहा है। अब इस विवाद को लेकर कोर्ट से बाहर राजीनामें की एक बड़ी पहल हुई है। जानकारी के अनुसार मस्जिद पक्ष के पैरोकार मंदिर प्रशासन को मस्जिद से सटी जमीन देने के लिए राजी हो गए हैं और इसके एवज में मंदिर प्रशासन भी मस्जिद पक्ष को इतनी ही जमीन दूसरी जगह देने के लिए राजी हो गया है। यह अलग बात है कि अभी वर्ष 1991 से चल रहे मामले पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है जिस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। बावजूद इसके कोर्ट के बाहर जिस तरह से सुलहनामें की पहल हुई है उससे उम्मीद जताई जा रही है कि यह मामला अब जल्द ही निपट सकता है।
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