त्वरित – तेल देखो , “तेल की मार” देखो ….
त्वरित – तेल देखो , “तेल की मार” देखो ….
एक तरफ देश में महंगाई बेतहाशा सुरसा की तरह मुँह फैलाये खड़ी है , तेल के दाम रोज़-ब-रोज़ बढ़ते जा रहे हैं , इतिहास में इससे पहले कभी न हुआ जब डीजल के दाम पेट्रोल से ऊपर चढ़ गए हैं। ये वही सत्ताधारी दल है जो कभी तेल , गैस , सब्जियों की महंगाई पर “नंग प्रदर्शन” करती थी। आज जब खुद सत्ता में हैं तो न तो सरकार का बढ़ते तेल के कीमतों पर ना कोई सकारात्मक जवाब आ रहा है , ना ही कोई ऐसा ठोस उपाय सुझाया जा रहा है जिससे जनता को विश्वास में लिया जा सके।
दिल्ली में डीजल की कीमत, पेट्रोल से ज्यादा हो गई है. देश में पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 20 दिन से लगातार बढ़ रहे हैं . जानकारों का कहना है कि यह गति ऐसे ही जारी रही, तो पेट्रोल-डीजल के भाव 100 रुपये को भी पार कर सकते हैं।
आज शुक्रवार को फिर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ गए , दिल्ली में 0.21 रुपये की बढ़ोतरी के साथ पेट्रोल की कीमत 80.13 रुपये और डीजल में 0.17 रुपये की बढ़तरी के साथ कीमत 80.19 रुपये हो गई है।यह लगातार 20वां दिन है जब डीजल के भाव बढ़े हैं।
पेट्रो उत्पाद केंद्र सरकार का मुद्दा है , लेकिन जब इस मसले पर सवाल करिये तो केंद्र सरकार के अंदरखाने से एक मुद्दा उछाला जाता है की राज्य सरकारों पर वैट अन्य टैक्स की वजह से पेट्रोलियम उत्पाद के दाम आसमान छू रहे हैं। केंद्र सरकार कहती है बीजेपी शासित राज्यों की अपेक्षा कांग्रेस शासित राज्यों में पेट्रोलियम के वैट अन्य टैक्स की वजह से तेल के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है।
क्यों बढ़ रही कीमत –
एक्सपर्ट्स के अनुसार – ‘तेल कंपनियों ने भारत में पेट्रोल-डीजल के भाव तब बढ़ाने शुरू किए जब कच्चा तेल काफी नीचे 19 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था. तो अब कच्चे तेल का रेट बढ़ रहा है. ब्रेंट क्रूड 40 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गया है.
तेल कंपनियों के पास जो इन्वेंट्री है उसमें भी उन्हें नुकसान हो रहा है. मांग कम हो गई है और उनके मार्जिन माइनस में आ गए हैं. तो वे इस नुकसान की भरपाई अपना मार्जिन बढ़ाकर करेंगी. एक्साइज ड्यूटी में सरकार ने करीब 13 रुपये तक की बढ़त कर दी है. इसका भी पूरा बोझ अभी ग्राहकों पर नहीं डाला गया है. ऐसे में स्वाभाविक है कि आगे रेट और बढ़ाने पड़ेंगे. यही गति जारी रही तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी पेट्रोल-डीजल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर जाए.’
अभी और बढ़ेगी कीमत!
जानकारों के अनुसार – डीजल-पेट्रोल की कीमतें अभी और बढ़ने के ही पूरे आसार हैं. अभी तेल कंपनियां दाम बढ़ा रही हैं. इसके बाद राज्य सरकारें इस पर वैट बढ़ाएंगी. लॉकडाउन की वजह से राज्यों की इकोनॉमी की हालत खराब ही है. कई राज्य एक बार डीजल पर वैट बढ़ा चुके हैं. वे अब फिर मौके की तलाश में हैं कि कब पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने का मौका मिले.
“क्रोनोलॉज़ी” समझिये –
तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़त की क्रोनोलॉजी को आप इस तरह से समझ सकते हैं। पहले केंद्र सरकार ने इस पर लगातार टैक्स बढ़ाया, अब तेल कंपनियां दाम बढ़ाकर अपना बहीखाता ठीक कर रही हैं और आगे राज्य सरकारें टैक्स बढ़ाकर अपना राजस्व बढ़ाने की कोशिश करेंगी. यानी तेल को सरकारों ने टैक्स के मामले में दुधारू गाय समझ लिया है। इस सबका पूरा बोझ जनता पर जाएगा, तो दाम इसी तरह बढ़ते रहे तो पेट्रोल-डीजल का रेट 100 रुपये लीटर को पार कर सकता है।
ऐसा तभी नहीं होगा कि जब सरकार कोई विशेष कदम उठाकर इसे रोकने की कोशिश करे, लेकिन यह राहत भी लग रहा कि कई राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले नहीं मिलने वाली है।
यह सरकार ने पहले से तय कर रखा है कि डीजल और पेट्रोल की कीमतें बराबरी पर लानी है क्योंकि दोनों की लागत लगभग बराबर है। दूसरे देशों में अक्सर डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा रखी जाती है। इसकी वजह यह है कि इसकी उत्पादन लागत पेट्रोल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा ही होती है. लेकिन भारत में सरकारें अभी तक सब्सिडी और टैक्स के द्वारा इसे सस्ता रखने का प्रयास करती रही हैं, क्योंकि यह खेती, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे बेहद जरूरी कामों में इस्तेमाल होता है।
राज्यों की कीमत में क्यों है अंतर …!
इंडियन ऑयल के मुताबिक पेट्रोल की बेस प्राइस जहां 22.11 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल की बेस प्राइस 22.93 रुपये प्रति लीटर है. यानी डीजल की लागत थोड़ी ज्यादा ही है. जिस राज्य में डीजल पर टैक्स ज्यादा है, वहां अब डीजल का रेट ज्यादा हो गया है। यूपी जैसे कृषि प्रधान राज्यों में अभी डीजल पर वैट कम है, इसलिए वहां अभी डीजल का रेट कम है।
क्या होगा असर ..?
पिछले 20 दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई की ओर बढ़ने की वजह से अगले दिनों में महंगाई का तगड़ा झटका जनता को लगने वाला है। खासकर डीजल का रेट बढ़ना ज्यादा नुकसानदेह है। भारत में डीजल का इस्तेमाल कृषि, ट्रांसपोर्ट जैसे जरूरी काम में किया जाता है.
डीजल के रेट बढ़ने से कृषि पैदावार के रेट बढ़ेंगे और तमाम सामान की ढुलाई भी बढ़ जाएगी. ट्रकों का भाड़ा बढ़ जाएगा. इसकी वजह से महंगाई बढ़ने के पूरे आसार हैं।
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