सुल्तानपुर: दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं भाजपा प्रत्याशी ऊषा सिंह

खबर सुल्तानपुर से है जहां भाजपा प्रत्याशी ऊषा सिंह ने एक बार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष पद को अपने पाले में कर लिया और 45 जिला पंचायत सदस्यों की इस जिला पंचायत सुल्तानपुर की अध्यक्ष पर एक बार पुनः आशीन होगी जीत का ताज फिर उन्ही के सर पर सजेगा।

खबर सुल्तानपुर से है जहां भाजपा प्रत्याशी ऊषा सिंह ने एक बार फिर जिला पंचायत अध्यक्ष पद को अपने पाले में कर लिया और 45 जिला पंचायत सदस्यों की इस जिला पंचायत सुल्तानपुर की अध्यक्ष पर एक बार पुनः आशीन होगी जीत का ताज फिर उन्ही के सर पर सजेगा।

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बताते चलें कि सुल्तानपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सुल्तानपुर की पूर्व केंद्रीय मंत्री व लोकप्रिय सांसद मेनका गांधी का क्षेत्र है और पाँच विधानसभा वाले इस लोकसभा में चार पर भाजपा का कब्ज़ा है और नगर पालिका परिषद सुल्तानपुर की कुर्सी भी भाजपा के पास है तो वही 45 जिला पंचायत सदस्यों की इस जिला पंचायत परिषद के अध्यक्ष पद की कुर्सी इसीलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थी।

तो वही मेनका गांधी ने भी इस पंचायत चुनाव में आकर अपना समय दिया जिसमें भाजपा को मात्र 3 सीटों पर सन्तोष करना पड़ा था जिसमे सपा और निर्दलीय प्रत्याशी के जीत की संख्या ज्यादा थी और काँग्रेस के तीन सदस्य ही जीत पाए थे,चुकी ऊषा सिंह इसके पहले भी जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर आसीन थी और कही से कोई कोर कसर पुनः अध्यक्ष बनने के लिए नही छोड़ रही थी।

बताते चले कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह उर्फ सोनू व पूर्व ब्लॉक प्रमुख यशभद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह की बहन है और जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की थी और यू कहे तो ऊषा सिंह को अगर कोई टक्कर दे रहा था तो वो थी अर्चना सिंह और अंत तक लोग यही कयास लगा रहे थे कि जीत अर्चना सिंह की होगी और गुणा गणित भी यही लगा रखा था, परंतु नियति को कुछ और मंजूर था और अन्तोगत्वा जीत ऊषा सिंह को मिली 25 मत पाकर वो सबसे आगे रही तो वही अर्चना सिंह को मात्र 17 मत पड़े और इसी पर उन्हें सन्तोष करना पड़ा और उनके हाथ निराशा लगी, सबसे बड़ी बात तो ये रही कि सपा के सदस्यों ने तो सपा का साथ ही छोड़ दिया और सपा की प्रत्याशी को मात्र 1 मत प्राप्त कर उसी पर सन्तोष करना पड़ा जो मत उनके ही द्वारा स्वयं को दिया गया था और उनको भी निराशा हाथ लगी।

तो वही कहना गलत ना होगा कि ऊषा सिंह ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीत कर भाजपा के सम्मान को पुनः बचा लिया और 2022 के चुनाव को देखते हुए भाजपा के खेमे में एक तरफ खुशी का माहौल है तो वही दूसरी तरफ़ निर्दलीय प्रत्याशी अर्चना सिंह को और पूर्व विधायक सोनू सिंह और मोनू सिंह को इस पर विचार करने की जरूरत है कि जनता के बीच में बाहुबली बन कर नही अपितु लोकप्रिय बन कर उनके दिलों में जगह बनाने की जरूरत है और ऊषा सिंह को भी ये मंथन करने की जरूरत है कि मात्र 3 जिला पंचायत सदस्यों के सहारे अध्यक्ष पद का चुनाव जीतना संभव नहीं था, इस लिए इस जीत का सारा श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री व लोकप्रिय सांसद मेनका गांधी की वजह से संभव हो पाया है।

सुल्तानपुर से सन्तोष पाण्डेय की रिपोर्ट

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