मथुरा: पशु चिकित्सालय बने कूड़ेदान

योगी सरकार में भी जानवरों के अस्पतालों की मौजूदा स्थिति बद से बदतर ,पशुचिकित्सालय में पत्थर,बजरी रखकर बेची जा रही महिलाओं ने उपले थापे ,पशु बंध दिए ,कई साल से नहीं आये चिकित्सक, प्राइवेट पशुचिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर ।

योगी सरकार में भी जानवरों के अस्पतालों की मौजूदा स्थिति बद से बदतर ,पशुचिकित्सालय में पत्थर,बजरी रखकर बेची जा रही महिलाओं ने उपले थापे ,पशु बंध दिए ,कई साल से नहीं आये चिकित्सक, प्राइवेट पशुचिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर ।

भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा से दुनियां को पशु प्रेम का संदेश दिया। यहां जो भी अधिकारी आता है वह यही कहता है कि यह प्रेम की नगरी है, यहां मैं सेवा भाव से आया हूं, ब्रजवासियों की सेवा सौभाग्य की बात है। ये बातें कोरी साबित हो रही हैं, भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को शायद प्रशासन भूल गया है। जिका जीता जागता उदहरण मथुरा के पशु चिकत्सालय हैं। सरकारी पशु चिकत्सा सेवाओं की हकीकत जान कर आप हक्का बक्क्का रहे जाएंगे।

इतना ही नहीं सरकार भी किसान की आय दो गुनी करने का प्रयास कर रही ही। पशुपालन को इसका आधार बनाया जा रहा है। दूसरी ओर सरकार ने पशु पालकों को पूरी तरह से ग्रामीण झोलाछाप पशु चिकित्सकों के हवाले छोड दिया है। ये अनपढ चिकित्सक किसानों का खून चूस रहे हैं। सरकारी पशु चिकत्सा व्यवस्था की हालत इतनी बदतर है कि जनपद में यह व्यवस्था नाममात्र की रह गई है। जनपद में दुधारू पशुओं की संख्या लाखों में है।

स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की पोल खोलता ये चौमुहां विकास खंड के गांव नौगांव का पशु सेवा केंद्र है । जहां वर्षों से पशु उपचार की व्यवस्था न होने के कारण कुछ ग्रामीणों के लिए व्यवसायिक गतिविधियों का सुरक्षित ठिकाना बन गया है । तो वही कुछ लोगों ने अपने घरों का कूड़ा करकट डालकर इसे डलावघर में तब्दील कर दिया है ।

पशु सेवा केंद्र पर चिकित्सक की तैनाती न होने की वजह से लाखों रुपए से बनी इमारत अब खण्डहर में तब्दीली हो चुकी है । ग्रामीण गुलाब सिंह ने बताया कि जब से नौगांव में पशु सेवा केंद्र स्थापित हुआ है तब से आज तक यहां कोई भी पशु चिकित्सक नहीं आया । देखते ही देखते पशु सेवा केन्द्र की बिल्डिंग खण्डहर में बदल गई ।

ग्रामीण पशुओं के बीमार पड़ने पर या तो झोलाछाप डॉक्टर से दवा दारू कराते हैं या फिर गांव से 15 किलोमीटर दूर चौमुहां ले जाते हैं । कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ । इसी वजह से यहां अब ईट, पत्थर ,बजरी बेची जा रही है। ग्रामीण अपने पशुओं को बांध रहे हैं । महिलाएं उपले पाथ रही हैं । और घरों का कूड़ा डाल रही है ।

Report-SHREYA SHARMA

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