विभाग पर भारी पड़ रहा फर्जीवाड़े में नामजद पुलिस हेड कांस्टेबल, अब तक है फरार
फर्जीवाड़े में नामजद पुलिस हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह यादव हफ्ते भर से वांटेड है पर उसके खिलाफ कार्रवाई लखनऊ और बाराबंकी पुलिस के बीच लिखापढ़ी में फंसी है। इस लिखापढ़ी के दौरान ही यह भी सामने आ गया कि दिलबहार का जब भी लखनऊ से ट्रांसफर हुआ, तब तब उसने खुद को लखनऊ से सम्बद्ध करा लिया। अब महकमे में ही चर्चा है कि आखिर दिलबहार और उसके ऐसे कई अन्य सिपाही आखिर कैसे अफसरों पर भारी पड़ जा रहे हैं।
बाराबंकी में हुआ था ट्रांसफर, लखनऊ सर्विलांस सेल में था अटैच
मार्च में शुरू हुयी इस फर्जीवाड़े की जांच शुरुआत में ही दिलबहार का नाम सामने आ गया था। उस समय वह लखनऊ में सर्विलांस सेल में था। एसटीएफ ने उसी दौरान लखनऊ पुलिस को उसे सर्विलांस सेल से हटाने के लिए कहा था, जांच के दौरान उसकी संलिप्तता साफ़ दिखाई पड़ रही थी। इसके बावजूद दिलबहार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पायी। जांच में पाया गया है कि हेड कांस्टेबल दिलबहार ने ही अन्य सिपाहियों के साथ मिलकर 31 मार्च को पीड़ित को नाका कोतवाली लाकर खूब धमकाया था।
दो जिलों की पुलिस के फंसी है आरोपी सिपाही के खिलाफ कार्रवाई
मामले की एफआईआर में उक्त हेड कांस्टेबल का नाम आने के बाद अफसरों द्वारा पहले तो कहा गया कि उसे निलम्बित किया जा रहा है। इसके बाद अफसरों ने कहा कि उसका ट्रांसफर वर्ष 2018 में बाराबंकी हुआ था पर जनवरी, 2019 में उसने खुद को लखनऊ पुलिस से सम्बद्ध करा लिया था। इस आधार पर उसका निलम्बन बाराबंकी एसपी करेंगे। कहा जा रहा है कि उसके निलम्बन की संस्तुति कर दी गई है। परन्तु बाराबंकी पुलिस के अनुसार अभी वहां यह निलंबन का संस्तुति आदेश नहीं पहुंचा है। लखनऊ पुलिस के अनुसार फर्जीवाड़ा में संलिप्तता की सूचना मिलने के बाद जब फर्जीवाड़ा सामने आया तो 15 जून को उसे बाराबंकी के लिये कार्यमुक्त कर दिया गया। दो जनपदों की पुलिस की इस लिखापढ़ी के बीच आरोपी दिलबहार लगातार फरार है और पुलिस के हाथ नहीं आ रहा है।
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