शौधकर्ताओं ने कोरोना वायरस को लेकर की बड़ी खोज, डेल्टा वेरिएंट से लड़ने में मिलेगी बड़ी मदद

आज दुनिया का लगभग हर देश कोरोना वायरस से झूझ रहा है। फिर चाहे वो सुपर पावर अमेरिका हो या छोटा सा देश श्रीलंका। कोरोना ने किसी को भी नहीं छोड़ा।

आज दुनिया का लगभग हर देश कोरोना वायरस से झूझ रहा है। फिर चाहे वो सुपर पावर अमेरिका हो या छोटा सा देश श्रीलंका। कोरोना ने किसी को भी नहीं छोड़ा। यही एक बड़ी वजह है कि आज पूरी दुनिया में कोरोना से मरने वालों की संख्या करोड़ो में। अभी भी कोरोना अपना आतंक फैलाये हुए है। दुनिया के कई देशों में इस वक्त कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। जिसमे ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका जैसे बड़े नाम शामिल है।

WHO के मुताबिक कोरोना का लेटेस्ट वर्शन ‘डेल्टा वेरिएंट’ अब तक का सबसे घटक वायरस है। WHO की ये बात सच होती हुई नज़र आ रही है। वही दूसरी तरफ राहत देने वाली बता ये भी है कि कोरोना को रोकने और उससे बचाव के लिए वैज्ञानिक लगातार नए-नए तकनीकों की खोज कर रहे है।

यह भी पढ़े : जब एक छोटे से देश ने अमेरिका को दिखाई थी आंख, आखिर में अमेरिका को ही माननी पड़ी हार

ऐसी ही एक खोज ब्रिटेन में मौजूद यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शौधकर्ताओं ने कि है। जहां पे इस वक्त डेल्टा वेरिएंट बुरी तरह से फैला हुआ है। वहां के शौधकर्ताओं ने कोरोना जांचने का नया तरीका खोज निकाला है। अब लोगों की बजाए मोबाइल फोन स्क्रीन से स्वैब की जांच हो सकती है।

बाकी कोरोना जांचों से सटीक है ये तकनीक

फ़िलहाल डॉक्टर्स कोरोना टेस्ट के लिए जिन टेस्ट का इस्तेमाल करते है, उनके मुताबिक ये नई तकनीक उन सभी से कई गुना बहेतर और सटीक है। शौधकर्ताओं के मुताबिक उच्च वायरल लोड वाले 81% से 100% संक्रामक लोगों के मोबाइल फोन पर कोरोनावायरस का पता लगाया, जिसका अर्थ है कि यह एंटीजन टेस्ट के समान सटीक है।

यह भी पढ़े : दुनिया का एक मात्र ऐसा होटल जहां रुक सकते है केवल दो लोग, जाने ऐसा क्यों ?

बाकि टेस्टिंग से है काफी सस्ता

अभी जिन तरीको से टेस्टिंग कि जाती है वो गरीब लोगो के लिए थोड़े से महंगे साबित होते है। पर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शौधकर्ताओं के मुताबिक इससे संभावित रूप से सामान्य आबादी के बीच रेगुलर टेस्टिंग में वृद्धि की जा सकती है।

Related Articles

Back to top button