सुल्तानपुर: कांग्रेस ने दिया लोकप्रिय पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू की बहन अर्चना सिंह को समर्थन

खबर सुल्तानपुर से है पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जैसे-जैसे तारीख करीब आ रही वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण में उलटफेर भी होता दिखाई दे रहा है़।

खबर सुल्तानपुर से है पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जैसे-जैसे तारीख करीब आ रही वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण में उलटफेर भी होता दिखाई दे रहा है़। मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर में इसकी बानगी देखने को मिली है़। आज कांग्रेस पार्टी ने लोकप्रिय पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू की बहन अर्चना सिंह को समर्थन दे दिया है़। अर्चना सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मैदान में है और कांग्रेस के तीन डीडीसी इस पंचायत चुनाव में जीतकर आए हैं।

बताते चलें कि सोमवार को जब हमारी टीम से बात करते हुए कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा ने कहा कि कांग्रेस सांप्रदायिक सदभावना बिगाड़ने वाली शक्तियों के विरोध में खड़ी रहती है़। हमेशा सामाजिक सदभाव बनाए रखने में पार्टी विश्वास रखती है़। आज जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है़, प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को जो की कड़ी टक्कर दे रही हैं और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अर्चना सिंह जी को हमारी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें समर्थन दिया है़। उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी के तीन जिला पंचायत सदस्य हैं तीनों अर्चना सिंह को समर्थन दे रहे हैं।

बताते चले कि सुल्तानपुर में डीडीसी की कुल 45 सीटें हैं। इनमें सबसे अधिक सपा के 7, बसपा के 5, आप के 2, एआईएमआईएम के 2, निषाद पार्टी के 4, भासपा के 1, कांग्रेस और बीजेपी के 3-3 सदस्य जीते हैं। हैरान करने वाली बात ये है़ कि बीजेपी का रिजल्ट तब इतना खराब आया है़। जब इस चुनाव में बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने 5 दिनों तक घूम-घूम कर पार्टी समर्थित प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे थे।

अब सारा दारोमदार दलों को छोड़ सबसे अधिक जीते 19 निर्दलीय उम्मीदवारों पर है। यहां निर्दलीय उम्मीदवार अर्चना सिंह के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है़, इसलिए अब सपा और बीजेपी की सीधी लड़ाई में रोड़े आ गए हैं। वैसे अर्चना सिंह को कम आंकना भी नासमझी ही होगी। यही नही दो दलों की सीधी लड़ाई में 23 डीडीसी का वोट पाने वाला विजयी घोषित होता लेकिन अब हार-जीत का आकड़ा इससे कम और करीबी का भी हो सकता है़।

सुल्तानपुर से सन्तोष पाण्डेय की रिपोर्ट

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