2022 विधानसभा चुनाव : नितीश कुमार के इस फैसले के बाद बुरी तरह फंसी भाजपा
भारतीय राजनीति में ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी होते हुए जाता है और ये कथन कई मायनों में सच भी है।
भारतीय राजनीति में ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी होते हुए जाता है और ये कथन कई मायनों में सच भी है। अगले साल होने वाले यूपी के विधानसभा चुनावों में ज़्यादा समय नहीं बचा है। प्रदेश की सारी राजनितिक पार्टियों ने चुनाव को लेकर अपनी-अपनी कमर कसली है। हर बार की तरह इस बार भी जनता को इस चुनाव में नए राजनैतिक समीकरण देखने को मिल सकते है। चुनाव जीतने के लिए पार्टियां आपस में गठबंधन करती है। जिससे उनके खाते में ज्यादा से ज्यादा सीटे आ सके।
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फिर चाहे वो पिछले विधानसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हो या बीजेपी और अपना दल का हो। इसी रिवाज को आगे बढ़ाते हुए इस बार बिहार में बीजेपी की गठबंधन पार्टी जेडीयू यूपी की राजनीति में कदम रखने का मन बना रही है। इसी के चलते जेडीयू और बीजेपी के बीच बात चल रही है। 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर जेडीयू के बड़े और बिहार के कद्दावर नेता केसी त्यागी
ने सीएम योगी से इस बारे में बात की है।
नीतीश कुमार की पिछड़े समाज में पॉपुलैरिटी से पार्टी को होगा फ़ायदा – केसी त्यागी
बीजेपी से गठबंधन करके चुनाव लड़ने की बात पे केसी त्यागी ने कहा कि ”उत्तर प्रदेश में हम पहले भी एनडीए का हिस्सा रहे हैं। वहां हमारे, विधायक, सांसद और मंत्री रहे हैं। 2017 के चुनाव में भी हम पूरी तरह से तैयार थे। लेकिन पार्टी में सर्वसहमति के बाद हमने न लड़ने का निर्णय लिया, जिसका फायदा बीजेपी को मिला।”
इसके अलावा उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को पिछड़े समाज में नीतीश कुमार की पॉपुलैरिटी भी याद दिलाई। ” त्यागी ने कहा कि ”मैंने योगी आदित्यनाथ से बात की है। उनसे कहा कि नीतीश कुमार की पिछड़े समाज में पॉपुलैरिटी का इस्तेमाल यूपी में भी किया जा सकता है।”
बात ना बनने पे अकेले दम पे चुनाव लड़ेगी जेडीयू
जेडीयू के तेवर देखते हुए ये अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि अगर दोनों पार्टियों में विधानसभा चुनावों को लेकर आपसी सहमति नहीं बनी तो ये बात तो तय है कि जेडीयू अकेले दम पे प्रदेश में चुनाव लड़ेगी। अगर ऐसा हुआ तो चुनाव लड़ रही बाकि पार्टियों की सीटों पर इसका मिला जुला असर देखने को मिल सकता है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के वोट बैंक पे इसका कितना असर देखने को मिल सकता है।
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