…तो इस कारण हो रही हैं कोरोना से सबसे अधिक मौतें, रहें सावधान।

कोविड महामारी की चपेट में आए लोगों कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी मरीजों की हो रही हैं मौतें ।
बतादें सावधानी ना करने पर कोविड प्वाजटिव लोगों कि निगेटिव रिपोर्ट आने के महज 24 घंटो से लेकर पांच दिन के अंदर मरीजों कि मौतें हो रही हैं। इसके बावजूद भी इन्हे कोरोना डेथ में ना जोड़कर सामान्य श्रेणी की मौत में रख लिया जा रहा हैं.
जबकि इन मौतों की वजह कोरोना महामारी ही है।

गौरतलब हैं कि ऐसी मौतें होने के बाद भी अभी तक किसी भी अस्पताल ने ऐसी मौतों को लेकर कोई ब्योरा तैयार नहीं किया है।

जिसके कारण अंतिम संस्कार में कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं किया जा रहा हैं.वहीं कुछ विशेषज्ञों की बात माने तो जो इस गंम्भीर बीमारी के चपेट में आ जाता हैं उसके अंदर दस फीसदी पोस्ट कोविड डेथ होती है।

वहीं इस मामले में सीनियर चेस्ट फिजीशियन डॉ. राजीव कक्कड़ एक इंटरव्यू के दौरान बताया है.कि पोस्ट कोविड रोगियों की जब हालत बिगड़ती है तो बहुत गंभीर होती है।वह सीधे वेंटिलेटर पर जाते हैं, फिर उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे रोगियों की मौत का कारण हार्टअटैक बताया जा रहा है।

कोरोना से शरीर को हुई क्षति की वजह से रोगियों को अटैक पड़ जाता है। वहीं कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा के मुताबिक कोरोना से फेफड़े क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इन्हें ठीक होने में वक्त लगता है। जब शरीर में ऑक्सीजन लेवल घट जाता है तो अटैक पड़ जाता है। इसके अलावा रोगी कोरोना निगेटिव होने के बाद भी एक्यूट रेस्पेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम की गिरफ्त में आ जाते हैं। निमोनिया के कारण उनकी सांस की तकलीफ बढ़ गई होती है।जानकारों का कहना हैं कि कोरोना वायरस एक सप्ताह से दस दिन में प्राकृतिक रूप से मर जाता है, लेकिन संक्रमण की वजह से इन्फेलेटेड सेल (कोशिकाएं) बन जाती हैं। ये शरीर के विभिन्न अंगों में जाकर डैमेज करती हैं और रोगी की मौत का कारण बन जाती हैं। इनसे पार पाना बहुत मुश्किल होता है।ऐसी ही पोस्ट कोविड जटिलताएं जान लेवा होती हैं।

द यूपी खबर
सीनियर संवाददता

डी के त्रिपाठी

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