महाराजा सुहेलदेव राजभर का विजय दिवस कल “दीपोत्सव” के रूप में मनाएगी सु०भा०स०पा०

कल यानी 10 जून को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी महाराजा सुहेलदेव राजभर जी का 989 वां विजय दिवस को पूरे देश में शौर्य दिवस के रूप में मनाएगी विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी जिसको मंदिरों का लुटेरा एवं क्रूरता के लिए जाना जाता है.

 

अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए तथा भारत की अकूत संपदा को लूटकर गजनवी ले जाने तथा पूरे देश में जबरन धर्म परिवर्तन कराने के लिए सन 1031 ई० में गजनबी के भांजे सैयद सालार मसूद गाजी ने दिल्ली पर आक्रमण किया। दिल्ली जीतने के बाद मेरठ और कन्नौज के राजाओं को हराकर जबरन इस्लाम कबूल करवा कर बदायूं होते हुए बाराबंकी पहुंचा जहां हिंदू राजाओं दीनदयाल और तेजपाल ने भीलो की सहायता से वीरता पूर्वक मुकाबला किया दीनदयाल की हत्या हुई और तेजपाल बंदी बनाए गए क्रमशः इसी तरह सबको हारते हुए अपनी वीरता के मद में चूर सलार मसूद बहराइच की तरफ बढ़ा जहां उसका मुकाबला सुहेलदेव राजभर जी से हुआ मिराते मसूदी के अनुसार 10 जून 1034 को सालार मसूद और महाराजा सुहेलदेव जी की सेना का मुकाबला हुआ उनके बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के हाथों आक्रांता सलार मसूद मारा गया युद्ध इतना भयंकर हुआ था कि 200 सालों तक किसी ने हिंदुस्तान की तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाई इसलिए 10 जून 1034 ई० का दिन इतिहास में अमिट है और अपनी छाप छोड़ गया महाराजा सुहेलदेव राजभर जी वीरता पूर्वक लड़े इस निर्णायक युद्ध को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार पूरे देश में शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ऐसे राष्ट्र रक्षक राजा सुहेलदेव राजभर के इतिहास से रूबरू करायेगी जिसको हमारे इतिहास कार शायद बताना भूल गये उन्होंने आक्रांताओं का इतिहास तो लिखा लेकिन ऐसे वीर योद्धाओं और राष्ट्रभक्तो को लिखना भूल गए।

शौर्य दिवस “दीपोत्सव” के रूप में यादगार होगा.

Related Articles

Back to top button