फतेहपुर: पत्रकारों का जलसत्याग्रह आंदोलन , पत्रकारिता का एक स्याह सच …………….

फतेहपुर : किसी राज्य की सत्ता , शासन , ब्यूरोक्रेसी और मीडिया कहने को तो सीधे सीधे जनसरोकार से जुड़े व्यवस्था के माध्यम हैं, कभी कभी व्यवस्था में जब कोई अनियमितता का संक्रमण आ जाता है तो उसे उजागर करने का काम लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में मीडिया करता है।

मीडियाकर्मी खासकर फील्ड पत्रकार उस अव्यवस्था को दुरुस्त करने का काम करने के लिए खबर का दबाव बनाता है ,जिससे भ्रष्टाचार उजागर होता है। लेकिन तब क्या कहा जाये, जब लोक प्रहरी रूपी पत्रकार अपने कुत्सित विचारों को लेकर जबरिया चरित्र हनन पर उतर जाता है तो उसकी बानगी बनता है उत्तर प्रदेश का जिला फतेहपुर, जहां स्वयंभू कथित पत्रकार के निर्देशन में बने पत्रकार संघ के पत्रकार जिले के डीएम संजीव सिंह के खिलाफ गंगा यमुना नदी में खड़े , लामबंद होकर जल सत्याग्रह का फोटोसेशन करवा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में इन दिनों जिला प्रशासन और मीडिया पत्रकारों के बीच रस्साकशी और आरोपों की बारिश हो रही है , पत्रकारों का कहना है कि जिला प्रशासन जिले के डीएम संजीव सिंह के निर्देश पर उन पर फ़र्ज़ी मुक़दमे कर रहा है, और उनके अधिकारों का दमन कर रहा है ।

 

असल में आज के समय में जब पत्रकार ही फर्जीवाड़ा करने लगें तो पत्रकारिता पर कलंक लग जाता है। वर्तमान समय में पत्रकारिता के पेशे को उगाही का जरिया बना दिया गया है। अब जब ये खबर “द यूपी खबर” उठा रहा है , तो इस संदर्भ बातें फतेहपुर जिले के पत्रकारिता के स्याह पहलू से भी रूबरू करवाना जरूरी हो चला है।

बात सबसे पहले इस पूरे तथाकथित पत्रकारों के जल सत्याग्रह आंदोलन की, तो ये पूरा मामला एक स्थानीय कथित पत्रकार अजय सिंह भदौरिया के शातिर दिमाग की उपज है। इस मामले की तहकीकात और विश्वसनीय सूत्रों से पड़ताल और इस बाबत जिले के डीएम संजीव सिंह से बात करके जो पता चला उसका मजमून है , कि कथित पत्रकार अजय सिंह भदौरिया कहने को पेशे से पत्रकार हैं ।

जानकारी के मुताबिक, हाल ही में सोशल मीडिया में विजईपुर ब्लाक के अंतर्गत रहने वाले नेत्रहीन दंपत्ति को लॉकडाउन के दौरान खाद्यान सामग्री का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल करने के मामले में जिले के जिला पत्रकार संघ अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया सहित अन्य पत्रकार के खिलाफ सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसके विरोध में जिले के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री सहित राजयपाल को ज्ञापन भेजकर निष्पक्ष जाँच करवा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया था।

इस बाबत जब डीएम संजीव सिंह ने मामले की पड़ताल करवाई तो पाया गया कि पत्रकार अजय सिंह भदौरिया ने इस खबर को ट्वीट करके दुर्भावनावश केवल स्थानीय जिला प्रसाशन की छवि बिगाड़ने की कोशिश की है। असलियत में इस वृद्ध दंपत्ति जिन्हे राशन वितरण का ट्वीट किया गया था वो फ़र्ज़ी पाया गया , उक्त मामले में कुत्सित मानसिकता से दुष्प्रचारित की गयी सारी बातें निराधार पायी गयीं।

 

ऐसा ही एक अन्य फ़र्ज़ी मामला मामला कम्यूनिटी किचन से सम्बंधित आया , इस संदर्भ में अजय सिंह भदौरिया द्वारा किया गया ट्वीट “कम्यूनिटी किचन हफ्ते भर में बंद हो गया , सरकार के लाखों डूब गए , किसी का पेट नहीं भरा” इस ट्वीट के बताये गए तथ्य को जब डीएम संजीव सिंह द्वारा पड़ताल करवाई गयी , तो ये भी न सिर्फ फ़र्ज़ी निकला। बल्कि सदर तहसील फतेहपुर और खागा तहसील सहित जिले में 4 कम्यूनिटी किचन पाए गए। इन दोनों मामलों की सरकारी जांच रिपोर्ट डीएम संजीव सिंह ने “द यूपी खबर” को मुहैया करवाई जिसे हम सुविधा के लिए पोस्ट कर रहे हैं। …………………..

 

 

इन सब फ़र्ज़ी मामलो की तरह एक अन्य मामला जिसे अजय सिंह भदौरिया ने 6 जून को ट्वीट किया था
“फतेहपुर @dmfatehpur आवास के बाहर घंटो तड़पता रहा प्रवासी मजदूर। संदिग्ध परिस्थियो में पैदल चलते हुए पैरों में छालों के कारण सड़क पर गिर पड़ा था। DM के सीयूजी पर कॉल कर देना चाहा सूचना, फ़ोन न उठने से स्थानीयों में नाराजगी। बीती रात का मामला। प्रवासियों की ऐसी दशा?
@CMOfficeUP” ………………….(ये ट्वीट दिया जा रहा है )

तथाकथित पत्रकार अजय भदौरिया द्वारा जिलाधिकारी को बदनाम करने के लिए अपने व्यक्तिगत ट्विटर हैंडल से फिर किया गया गलत, भ्रामक ट्वीट ।
6 जून को अजय भदोरिया द्वारा जिलाधिकारी आवास के बाहर प्रवासी मजदूर के तड़पने से संबंधित ट्वीट किया गया।

प्रवासी प्रदीप गुप्ता भुसावल ( महाराष्ट्र) का रहने वाला है, जोकि 30/05/2020 को सायं लगभग 6:30 बजे जिलाधिकारी आवास पहुंचा ।
जिलाधिकारी श्री संजीव सिंह द्वारा तत्काल उसको मास्क, भोजन, फल, कंबल, कपड़े उपलब्ध कराकर उनको जुखाम एवं खराब स्वास्थ्य तथा कोरोना वायरस की संदिग्धता के दृष्टिगत 108 एंबुलेंस से कोरोना जांच हेतु संस्थागत क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा गया।

जिलाधिकारी आवास के सीसी फुटेज से की गई पुष्टि।

वर्तमान में प्रवासी प्रदीप गुप्ता के कमजोर स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टरों के द्वारा इलाज किया जा रहा है ।स्वस्थ होने पर उन्हें भुसावल भेजा जाएगा।
अजय भदौरिया भ्रामक ,गलत अप्रमाणिक ट्वीट्स करके  जिलाधिकारी संजीव सिंह को बदनाम करने की कर रहे है कोशिश।

 

इस सम्बन्ध में “द यूपी खबर ” डीएम आवास के बाहर 30 मई का सीसीटीवी फुटेज यहां जारी कर रहा है जिसमे उक्त व्यक्ति का पूरा घटनाक्रम साफ़ तौर पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि उक्त व्यक्ति का तुरंत संज्ञान लिया गया और उसे तत्काल राहत पहुंचाई गई। करीब डेढ़ घंटे के दौरान के 3 सीसीटीवी फुटेज पूरे घटनाक्रम की कहानी साफ़ बयां कर रहे हैं। जबकि अजय सिंह भदौरिया ने इस सन्दर्भ में किये गए वीडियो ट्वीट में वीडियो के सिर्फ 3 फ्रेम शूट किये हैं ,जिससे ये मामला सिर्फ सनसनी फैलाता है।

 

इन सारे मामलों के बाद जब अजय सिंह भदौरिया के कारनामो से ये लगने लगा कि ये सिर्फ डीएम संजीव सिंह के “लॉक डाउन” के दौरान किये जा रहे जनहित के कार्यों को कुत्सित मानसिकतावश केवल सनसनी फैला कर जिला प्रशासन और जिलाधिकारी की छवि को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है, तो डीएम फतेहपुर संजीव सिंह ने इस कथित पत्रकार की जांच करवाई , जाँच में पता चला कि उक्त अजय सिंह भदौरिया पिछले करीब दो साल से किसी भी संस्थान का आधिकारिक मान्य पत्रकार नहीं है। जिला सूचना अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार अजय भदौरिया का जनपद में किसी भी प्रिंट / इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित प्राधिकार पत्र प्राप्त नहीं है। अजय सिंह भदौरिया द्वारा बनाया गया जिला पत्रकार एसो./ संघ फतेहपुर के रजिस्ट्रेशन का सूचना अधिकारी कार्यालय की परिधि में नहीं आता है ना ही इसकी कार्यालय में कोई सूचना है। कम्यूनिट किचन बन्द होने के बाद अजय भदौरिया द्वारा जिला प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया गया। जब इसकी जांच कराई गई तो अजय भदौरिया के द्वारा जिला प्रशासन की छवि को नुक्सान पहुंचाने का आरोप सत्य पाया गया। जिसके बाद अजय सिंह भदौरिया के खिलाफ इस सम्बन्ध में राजस्व निरीक्षक द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है। जल सत्याग्रह की आड़ में तथाकथित पत्रकार अजय भदौरिया अपने व्यक्तिगत टि्वटर हैंडल से जिला प्रशासन के कोरोना काल में किए गए प्रयासों को बदनाम करने के लिए गलत सूचना प्रसारित करा रहे हैं।

इस मामले से ये कहा जा सकता है कि जो दिखता है , उसमे सच की मात्रा कितनी है इसका पड़ताल करना पत्रकारिता का धर्म है। इस पूरे मामले में पत्रकारिता की साख पर बट्टा लगा, और शासन के जनहित के कार्यों पर नकारात्मक व्यवस्था की छवि भी बनाई गयी। मीडिया चैनलों , अखबारों में खबर छपने के बाद हमने भी पत्रकारिता धर्म को निभाते हुए न सिर्फ इस खबर की पड़ताल की वरन साक्ष्य भी प्रस्तुत किये , हम “द यूपी खबर” की टीम इस खबर पर लगातार नजर बनाये हुए है।

Related Articles

Back to top button